The Indian Contract Act के अनुसार रास्ते में पड़ी हुई मिलने वाली चीज़ के प्रति जिम्मेदारी

Update: 2025-09-04 04:11 GMT

कई चीज़ें वस्तु गुम हो जाती है तथा किसी अन्य व्यक्ति को पड़ी हुई प्राप्त होती है। इस परिस्थिति में भी संविदा का नियम लागू होता है। इस के संदर्भ में Contract Act की धारा 71 है जो इस संबंध में उल्लेख कर रही है। इस धारा के अनुसार जो व्यक्ति किसी अन्य की वस्तुओं को पाता है उन्हें अपनी अभिरक्षा में लेता है वैसे ही दायित्व के अधीन होना होगा जैसे कि एक उपनिहिती होता है।

यदि वस्तुओं को पाने वाला किसी अन्य की वस्तु को एक बार अपनी अभिरक्षा में लेता है तो यह विधि में उपनिहिती माना जाता है तथा संविदा अधिनियम की धारा 71 के अनुसार उसके वही सब उत्तरदायित्व होते हैं जो उपनिहिती के होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ परिस्थितियों में वह वस्तुओं को बेच सकता है पर एक युक्तियुक्त समय बीत जाना चाहिए। जबकि कोई चीज जो कि सामान्यता विक्रय का विषय है खो जाती है तब यदि स्वामी का युक्तियुक्त उधम से पता नहीं लगाया जा सकता या मांगे जाने पर पाने वाले के विधिपूर्ण खर्च को चुकाने से स्वामी इंकार करता है तो पाने वाला निम्नलिखित परिस्थितियों में पाई हुई वस्तुओं को बेच देता है-

जबकि खतरा है कि वह चीज नष्ट हो जाए या अपने मूल्य के अधिकतर भाग को खो दे तब की पाई गई चीज के दावे में पाने वाले के विधिपूर्ण खर्चों का परिणाम उसके मूल्य का दो तिहाई है।

संविदा सादृश्य के अंतर्गत कोई वस्तु यदि पड़ी प्राप्त होती है ऐसी परिस्थिति में जिसे वह वस्तु प्राप्त हुई है वह उस वस्तु को पुनः लौटाने का दायित्व रखता है।

भूल में या उत्पीड़न के कारण किसी वस्तु को यदि परिदत्त कर दिया गया है अर्थात डिलीवर कर दिया गया है तो ऐसी परिस्थिति में भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 72 के अनुसार उस धन या वस्तु को पाने वाले व्यक्ति को पुनः लौटाना होगा।

जैसे कभी कभी कोई धन किसी अन्य व्यक्ति के बैंक के खाते में हस्तांतरित करना था परंतु भूलपूर्वक वह धन किसी अन्य व्यक्ति के खाते में हस्तांतरित हो गया अब ऐसी परिस्थिति में धन को पुनः लौटाए जाने का दायित्व उस व्यक्ति के पास होगा जिसके खाते में भूलपूर्वक धन चला गया है।

वर्तमान समय में ऑनलाइन बाजार का युग है। ऑनलाइन वस्तुओं को घर पहुंच सेवा के साथ विक्रय किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में कभी-कभी वस्तु जिस व्यक्ति के घर डिलीवर करना है वहां डिलीवर ना होकर किसी अन्य व्यक्ति के घर डिलीवर हो जाती है इस परिस्थिति में जिस व्यक्ति के घर भूलपूर्वक वस्तु डिलीवर हो गई है और उस वस्तु से उस पाने वाले व्यक्ति ने लाभ प्राप्त किया है तो उस व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह उस वस्तु को पुनः लौटाएं।

यदि वह वस्तु नहीं लौटाता है तो ऐसी परिस्थिति में वस्तु को भेजने वाला व्यक्ति भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत कोर्ट में शरण लेकर प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकारी होता है क्योंकि यहां पर सदृश संविदा का निर्माण हो जाता है जबकि कोई दैहिक स्वतंत्रता अस्तित्व में नहीं आयी परंतु संविदा का निर्माण हो गया है।

लोहिया ट्रेडिंग कंपनी बनाम सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एआईआर 1978 कोलकाता 468 के प्रकरण में कोलकाता हाईकोर्ट अभिनिर्धारित किया की धारा 72 के अंतर्गत वह मामले आतें हैं जिनमें धन या वस्तु यह विश्वास से दिया जाता है कि वह विधिपूर्ण विश्वास या भूल के कारण होता है। ऐसा विश्वास विधि यह तथ्य की भूल के कारण हो सकता है।

ओएनजीसी बनाम स्टेशन ऑफ नेचुरल गैस कंजूमिंग इंडस एआईआर 2001 एससी 2996 के वाद में प्राकृतिक गैस के प्रदाय के बारे में ओएनजीसी तथा विभिन्न उद्योगों के बारे में करार किए गए करार में कीमत भुगतान, भुगतान का ढंग तथा भुगतान में विलंब के लिए ब्याज देने के निबंधन थे।

करारों के समय की समाप्ति पर ओएनजीसी ने प्रस्तावित किया कि संविदा का नवीनीकरण बढ़ी हुई कीमत पर किया जाए। क्रेता ने कीमत की वृद्धि को चुनौती दी तथा कोर्ट से अंतरिम आदेश प्राप्त कर लिया कि वह मूल कीमत पर ही भुगतान करेगा तत्पश्चात कोर्ट ने कीमत में वृद्धि को वैध माना तथा आदेश दिया कि संविदा का नवीनीकरण माना जाए तथा क्रेता बढ़ी हुई कीमत से भुगतान किया क्योंकि भुगतान में विलंब हुआ था ओएनजीसी को करार में लिखित दर के हिसाब से अदा किया जाए।

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