किरायेदार से तत्काल कब्ज़ा वापस लेने का विशेष अधिकार – राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम धारा 10 भाग 2

Update: 2025-03-22 12:07 GMT
किरायेदार से तत्काल कब्ज़ा वापस लेने का विशेष अधिकार – राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम धारा 10 भाग 2

राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के अधिकारों और कर्तव्यों को तय करता है। इसमें धारा 10 एक महत्वपूर्ण प्रावधान (Provision) है, जो कुछ विशेष परिस्थितियों में मकान मालिक को किराए पर दिए गए मकान का कब्ज़ा तुरंत वापस लेने का अधिकार देता है।

धारा 10 का पहला भाग कुछ विशेष श्रेणियों के मकान मालिकों को किरायेदार से तत्काल कब्ज़ा वापस लेने की अनुमति देता है।

इनमें सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कर्मी (Retired Armed Forces Personnel), सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी (Retired Government Employee), वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen), दिवंगत सशस्त्र बल कर्मी के उत्तराधिकारी (Legal Heir of Deceased Armed Forces Personnel) और दिवंगत मकान मालिक की विधवा (Widow of Deceased Landlord) शामिल हैं।

धारा 10 का दूसरा भाग इस अधिकार की कुछ और शर्तों (Conditions) को स्पष्ट करता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस कानून का दुरुपयोग न हो। इसमें मकान मालिक की सीमाएँ (Limitations), विकलांगता (Disability) की स्थिति में अधिकार, और मकान खाली करवाने के बाद उसे दोबारा किराए पर देने पर प्रतिबंध (Restriction) शामिल हैं।

इससे मकान मालिक को उसकी वास्तविक जरूरतों के लिए मकान वापस लेने में मदद मिलती है, वहीं किरायेदारों को भी अनुचित निष्कासन (Unfair Eviction) से सुरक्षा मिलती है।

मकान मालिक के अधिकार की सीमाएँ – धारा 10(2) (Limitations on Landlord's Right – Section 10(2))

धारा 10(2) यह स्पष्ट करता है कि अगर किसी मकान मालिक के पास एक से अधिक किराए पर दिए गए मकान हैं, तो वह धारा 10(1) के तहत केवल एक मकान के लिए ही याचिका दायर कर सकता है। इसका मतलब यह है कि कोई मकान मालिक एक साथ कई किरायेदारों को बाहर नहीं निकाल सकता।

इसके अलावा, यह धारा कहती है कि मकान मालिक केवल तभी याचिका दायर कर सकता है जब वह उसी नगर क्षेत्र (Municipal Area) में अपने खुद के मकान में निवास नहीं कर रहा हो। इससे यह सुनिश्चित होता है कि यह कानून केवल उन्हीं मकान मालिकों के लिए है, जिन्हें वास्तव में मकान की आवश्यकता है, न कि उन लोगों के लिए जो इसे किरायेदारों को परेशान करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

उदाहरण (Illustration):

अगर श्री शर्मा (Mr. Sharma), जो कि एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी (Retired Government Officer) हैं, जयपुर में तीन मकानों के मालिक हैं और पहले से ही अपने एक मकान में रह रहे हैं, तो वह धारा 10(1) के तहत किसी अन्य किराए पर दिए गए मकान को खाली करवाने का दावा नहीं कर सकते। लेकिन यदि वह खुद किसी अन्य मकान में किरायेदार के रूप में रह रहे हैं और उनके पास रहने के लिए कोई अन्य मकान नहीं है, तो वह इस धारा के तहत एक किराए पर दिए गए मकान का कब्ज़ा वापस लेने की मांग कर सकते हैं।

स्थायी विकलांगता की स्थिति में मकान मालिक को ग्राउंड फ्लोर का कब्ज़ा लेने का अधिकार – धारा 10(3) (Right of Disabled Landlord to Recover Ground Floor Premises – Section 10(3))

धारा 10(3) उन मकान मालिकों के लिए एक विशेष सुरक्षा प्रदान करता है, जो किराए पर देने के बाद स्थायी रूप से विकलांग (Permanently Disabled) हो गए हैं। यदि किसी मकान मालिक ने ग्राउंड फ्लोर (Ground Floor) का मकान किराए पर दिया था, लेकिन बाद में किसी गंभीर बीमारी (Serious Illness) या चोट (Injury) के कारण सीढ़ियों का उपयोग करने में असमर्थ हो गया, तो उसे अपने निवास के लिए ग्राउंड फ्लोर का कब्ज़ा वापस लेने का अधिकार होगा।

इसके लिए मकान मालिक को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:

1. उसे किराया अधिकरण (Rent Tribunal) में याचिका दायर करनी होगी।

2. उसे किसी सरकारी अस्पताल (Government Hospital) के मेडिकल बोर्ड (Medical Board) से प्रमाण पत्र (Certificate) प्रस्तुत करना होगा, जिससे यह साबित हो कि उसे स्थायी विकलांगता है।

3. उसे यह साबित करना होगा कि उसके पास उसी नगर क्षेत्र में ग्राउंड फ्लोर पर कोई अन्य मकान नहीं है।

उदाहरण (Illustration):

यदि श्री वर्मा (Mr. Verma), जो कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक (Retired Teacher) हैं, पहले पहली मंज़िल (First Floor) पर रहते थे और ग्राउंड फ्लोर किराए पर दिया था, लेकिन बाद में लकवे (Paralysis) के कारण चलने में असमर्थ हो गए, तो वह धारा 10(3) के तहत किराया अधिकरण में आवेदन कर सकते हैं और अपने ग्राउंड फ्लोर के मकान का कब्ज़ा वापस ले सकते हैं।

किरायेदार को मकान बदलने का विकल्प – धारा 10(3) की प्रोविज़ो (Tenant's Right to Exchange Premises – Proviso to Section 10(3))

इस धारा में एक अन्य विकल्प (Alternative Solution) दिया गया है जिससे किरायेदार को पूरी तरह से घर खाली करने की आवश्यकता न पड़े। यदि किरायेदार मकान मालिक के ग्राउंड फ्लोर को खाली करने के बदले, मकान मालिक की ऊपरी मंज़िल (Upper Floor) में समान आकार का हिस्सा लेने के लिए तैयार है, तो किराया अधिकरण इस शर्त पर ग्राउंड फ्लोर का कब्ज़ा मकान मालिक को देने का आदेश दे सकता है।

उदाहरण (Illustration):

यदि श्री वर्मा के किरायेदार, श्री गुप्ता (Mr. Gupta) पहली मंज़िल में शिफ्ट होने के लिए तैयार हैं, तो किराया अधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि श्री वर्मा उन्हें पहली मंज़िल का समान आकार का मकान उपलब्ध कराएं। इससे दोनों पक्षों के हितों की रक्षा होती है।

रिकवरी के बाद पुनः किराए पर देने पर प्रतिबंध – धारा 10(4) (Restriction on Re-Letting the Recovered Premises – Section 10(4))

धारा 10(4) के अनुसार, यदि मकान मालिक ने धारा 10 के तहत कब्ज़ा वापस ले लिया है, तो वह इसे अगले तीन वर्षों तक किसी अन्य व्यक्ति को किराए पर नहीं दे सकता।

यदि मकान मालिक इस शर्त का उल्लंघन (Violation) करता है और तीन साल के भीतर मकान फिर से किराए पर दे देता है, तो पूर्व किरायेदार (Former Tenant) को अधिकार होगा कि वह किराया अधिकरण में याचिका दायर कर पुनः कब्ज़ा प्राप्त कर सके।

उदाहरण (Illustration):

यदि श्रीमती जोशी (Mrs. Joshi), जो कि एक वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen) हैं, ने अपना मकान धारा 10(1) के तहत खाली करवा लिया और फिर दो साल बाद किसी अन्य किरायेदार को किराए पर दे दिया, तो पहले वाले किरायेदार को किराया अधिकरण में आवेदन करने का अधिकार होगा और अधिकरण मकान मालिक को पहले वाले किरायेदार को फिर से मकान देने का आदेश दे सकता है।

धारा 10 उन मकान मालिकों को सुरक्षा प्रदान करता है, जिन्हें वास्तव में अपने मकान की आवश्यकता होती है। साथ ही, यह किरायेदारों के अधिकारों की रक्षा करता है ताकि मकान मालिक इस प्रावधान का दुरुपयोग न कर सकें। यह एक संतुलित कानून (Balanced Law) है, जो दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता है।

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