धारा 243 के प्रावधान और कई अपराधों का संयुक्त मुकदमा - भाग 2

Update: 2024-11-04 09:56 GMT

परिचय: धारा 243 के अन्य प्रावधान

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) 2023 की धारा 243 का उद्देश्य उन मामलों का प्रावधान करना है, जिनमें कोई व्यक्ति एक ही घटनाक्रम में या अन्य संबंधित उद्देश्यों के तहत कई अपराध करता है।

इस लेख में हम धारा 243 के उप-खंड (Sub-sections) (2) और (3) का विश्लेषण करेंगे, जिनमें विशेष रूप से उन मामलों का उल्लेख है, जिनमें किसी व्यक्ति ने विश्वासघात (Criminal Breach of Trust), संपत्ति का बेईमानी से गबन (Dishonest Misappropriation of Property), और अन्य अपराधों को छिपाने या सुविधाजनक बनाने के लिए खातों की गलत जानकारी (Falsification of Accounts) देने का कार्य किया हो।

धारा 243 के प्रावधान उन मामलों के लिए न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने में सहायक होते हैं, जहां कई अपराधों के आरोप एक ही व्यक्ति पर लगाए गए हैं और यह सभी अपराध एक ही घटनाक्रम का हिस्सा हैं या एक-दूसरे से जुड़े हैं।

उप-खंड (2): विश्वासघात और संपत्ति का गबन

धारा 243(2) उन मामलों को संबोधित करता है, जिनमें कोई व्यक्ति एक या अधिक अपराध करता है जो विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) या संपत्ति का बेईमानी से गबन (Dishonest Misappropriation of Property) से संबंधित हैं।

यदि यह व्यक्ति अपने इन अपराधों को सुविधाजनक बनाने या छुपाने के लिए खातों को गलत रूप से पेश करता है, तो इन सभी अपराधों का एक ही मुकदमे में विचार किया जा सकता है।

उदाहरण

मान लीजिए, A पर किसी की संपत्ति को गबन करने का आरोप है। इस आरोप को छिपाने के लिए, A ने अपने खातों में फर्जी प्रविष्टियाँ कीं ताकि यह दिखाया जा सके कि वह संपत्ति सही तरीके से उपयोग की जा रही है।

इस स्थिति में, A पर संपत्ति का गबन और खातों के फर्जी प्रस्तुतिकरण, दोनों का एक ही मुकदमे में आरोप लगाया जा सकता है, क्योंकि यह दोनों कार्य एक ही उद्देश्य से जुड़े हुए हैं।

उप-खंड (3): कई अपराधों का संयुक्त मुकदमा

धारा 243(3) उन मामलों का प्रावधान करता है जिनमें कोई व्यक्ति एक ही घटनाक्रम के तहत ऐसे कार्य करता है जो कई अलग-अलग अपराधों के दायरे में आते हैं और जिनकी परिभाषा या दंड विभिन्न कानूनों के अंतर्गत दी गई है। ऐसे मामलों में, आरोपी पर हर अपराध के लिए अलग-अलग आरोप लगाए जा सकते हैं और उन्हें एक ही मुकदमे में चलाया जा सकता है।

उदाहरण (h): अवैध प्रहार

A ने B को जान-बूझकर डंडे से मारा, जो कि गैरकानूनी प्रहार का मामला है। इस स्थिति में, A पर एक ही मुकदमे में उन सभी अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है, जो कि धारा 115(2) और धारा 131 BNSS 2023 के अंतर्गत आते हैं।

उदाहरण (i): चोरी की वस्तु का छिपाना

चोरी किए गए अनाज की कई बोरियां A और B को दी गईं ताकि वे इसे छिपा सकें। A और B ने एक-दूसरे की सहायता से इन बोरियों को एक गड्ढे में छिपा दिया। इस मामले में, A और B पर धारा 317(2) और धारा 317(5) के तहत अलग-अलग अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है और एक ही मुकदमे में इन अपराधों की सुनवाई हो सकती है।

उदाहरण (j): बच्चे का परित्याग

A ने अपने बच्चे को ऐसी स्थिति में छोड़ दिया जिससे उसकी मृत्यु हो सकती थी, और बच्चे की मृत्यु इस परित्याग के कारण हुई। इस मामले में, A पर धारा 93 और धारा 105 BNSS 2023 के तहत अलग-अलग आरोप लगाए जा सकते हैं। दोनों अपराधों के लिए एक ही मुकदमे में सुनवाई हो सकती है।

उदाहरण (k): झूठे दस्तावेज का उपयोग

A ने झूठे दस्तावेज का उपयोग यह दिखाने के लिए किया कि B ने अपराध किया, जिससे B, जो एक सरकारी सेवक है, को दोषी ठहराया जा सके। A पर धारा 233 और धारा 340(2) (धारा 337 के साथ पढ़ें) BNSS 2023 के तहत आरोप लगाए जा सकते हैं। दोनों अपराधों का एक ही मुकदमे में विचार किया जा सकता है।

संयुक्त मुकदमे का उद्देश्य

धारा 243(2) और (3) का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सरल और सटीक बनाना है। संयुक्त मुकदमा आरोपी के लिए भी लाभकारी होता है क्योंकि उसे सभी आरोपों के लिए एक ही मुकदमे में बचाव का अवसर मिलता है। इससे समय और संसाधनों की भी बचत होती है और न्याय प्रक्रिया में तेजी आती है।

धारा 243 पर लेखों की श्रृंखला

धारा 243 के प्रावधान जटिल मामले में न्यायिक प्रक्रिया को सुगम और स्पष्ट बनाते हैं। यह लेख धारा 243 पर एक श्रृंखला का दूसरा भाग है, जिसमें हमने उप-खंड (2) और (3) की बारीकियों पर चर्चा की। अगले लेख में हम धारा 243 के अन्य संबंधित प्रावधानों का विश्लेषण करेंगे।

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