The Indian Contract Act की धारा 1 के प्रावधान

Update: 2025-08-07 03:55 GMT

The Indian Contract Act को समझने के लिए इसकी मूल 30 धाराओं को समझना अत्यंत आवश्यक है। प्रारंभ की 1 से लेकर 30 तक की धाराएं सर्वाधिक महत्वपूर्ण धाराएं है। इस एक्ट के मूल आधारभूत ढांचे को इन 30 धाराओं के भीतर समझाने का प्रयास कर दिया गया है। यदि इन 30 धाराओं को इनके मूल मर्म के साथ समझने का प्रयास किया जाए तो समस्त संविदा विधि को अत्यंत सरलता के साथ समझा जा सकता है।

धारा 1 इस एक्ट का परिचयात्मक हिस्सा है, जो इसके नाम, विस्तार, और प्रारंभ की तारीख को परिभाषित करती है। यह धारा एक्ट के दायरे और लागू होने की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जो इसे समझने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु बनाती है

मौजूदा संशोधनों में जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन एक्ट 2019 आने पर इस एक्ट का विस्तार संपूर्ण भारत पर हो गया है। जम्मू कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। धारा 1 में यह भी उल्लेख है कि इस एक्ट में मौजूद कोई भी प्रावधान उन क़ानूनों, अधिनियमों, या विनियमों को प्रभावित नहीं करता, जिन्हें स्पष्ट रूप से निरस्त नहीं किया गया है, न ही यह व्यापार की किसी प्रथा, रूढ़ि, या किसी संविदा की शर्तों को प्रभावित करता है, बशर्ते वे इस एक्ट के प्रावधानों से असंगत न हों। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि मौजूदा कानूनी ढांचे और व्यापारिक प्रथाओं के साथ इस एक्ट का सामंजस्य बना रहे।

इस एक्ट की धारा- 1 स्पष्ट और सरल धारा है जिसे सरलता से समझा जा सकता है। धारा केवल इस एक्ट के नाम का उल्लेख कर रही है और या एक्ट कहां-कहां पर प्रयोग होगा इसकी प्रयोज्यता कहाँ कहाँ होगी इस संदर्भ में उल्लेख कर रही है। भारतीय संविदा एक्ट की धारा 1 एक परिचयात्मक प्रावधान है, जो इस महत्वपूर्ण कानून का आधार बनाती है।

यह एक्ट का नाम, विस्तार, और प्रारंभ तिथि स्पष्ट करती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि यह अन्य कानूनों और प्रथाओं के साथ सामंजस्य बनाए रखे। यह धारा एक्ट के व्यापक दायरे और इसके कानूनी ढांचे को समझने का प्रारंभिक बिंदु है, जो भारत में अनुबंध कानून को संरचित और व्यवस्थित करता है।

यह एक्ट किसी विशेष रूढ़ि अथवा प्रथा को प्रभावित नहीं करता है। भारतीय संविदा एक्ट के अभिव्यक्त उपबंधों से असंगत रूप में किसी बात को परिवर्तित नहीं कराया जा सकता।

इरावडी फ्लोटिला कंपनी बनाम बगवांड्स 1891 कलकत्ता 620 के पुराने मामले में कहा गया है कि इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट की धारा 190 और 211 आदि में रूढ़ि और प्रथाओं का समावेश किया गया है। इस एक्ट के अंतर्गत रूढ़ि और प्रथाओं को वहीं तक मान्यता है जहां तक वह इस एक्ट के उद्देश्य और उसके प्रावधानों से असंगत नहीं होती हैं तथा उनमें युक्तियुक्तता होती है।

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