समन मामलों में आरोपी को बरी करने या दोषी ठहराने और सजा की प्रक्रिया : सेक्शन 278, BNSS 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के सेक्शन 278 में समन मामलों (Summons-Cases) के अंतिम चरण की प्रक्रिया को समझाया गया है।
इस प्रावधान में आरोपी को दोषी (Guilty) या निर्दोष (Not Guilty) ठहराने और उसके आधार पर उसे बरी (Acquittal) करने या सजा देने का निर्देश दिया गया है। यह प्रावधान पिछले सेक्शन 274 से 277 पर आधारित है और समन मामलों में न्याय प्रक्रिया को तेज और निष्पक्ष (Fair) बनाने का उद्देश्य रखता है।
आरोपी को बरी करने की प्रक्रिया (Acquittal of the Accused - Section 278(1))
सेक्शन 278(1) के तहत, अगर मजिस्ट्रेट (Magistrate) सभी प्रस्तुत साक्ष्यों (Evidence) और जरूरत पड़ने पर अपनी ओर से प्राप्त किए गए अतिरिक्त साक्ष्यों की समीक्षा करने के बाद पाता है कि आरोपी निर्दोष है, तो वह आरोपी को बरी कर सकता है।
यह बरी करने का आदेश मामले को समाप्त करता है और आरोपी को किसी भी आरोप से मुक्त कर देता है।
• उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप लगाया गया है और उसने गवाहों (Witnesses) और अन्य साक्ष्यों के माध्यम से अपनी निर्दोषता साबित कर दी है, तो मजिस्ट्रेट उसे बरी कर सकता है।
दोषी ठहराने और सजा देने की प्रक्रिया (Conviction and Sentencing - Section 278(2))
अगर मजिस्ट्रेट, साक्ष्यों की समीक्षा के बाद, यह पाता है कि आरोपी दोषी है, तो उसे कानून के अनुसार सजा दी जाएगी। यह सजा अपराध की प्रकृति और गंभीरता के अनुसार दी जाती है।
सेक्शन 278(2) में यह भी कहा गया है कि यदि सेक्शन 364 या 401 (जो विशिष्ट मामलों में वैकल्पिक प्रक्रिया प्रदान करते हैं) लागू नहीं होते, तो मजिस्ट्रेट सीधे सजा सुना सकते हैं।
• उदाहरण: यदि किसी दुकानदार को खराब उत्पाद बेचने का दोषी पाया जाता है, तो उसे उपभोक्ता सुरक्षा कानून (Consumer Protection Law) के तहत जुर्माने या अन्य सजा का सामना करना पड़ सकता है।
अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराने का प्रावधान (Conviction for Other Offences - Section 278(3))
सेक्शन 278(3) एक महत्वपूर्ण प्रावधान प्रदान करता है। इसके तहत मजिस्ट्रेट उन अपराधों के लिए भी आरोपी को दोषी ठहरा सकता है, जो सीधे तौर पर शिकायत (Complaint) या समन (Summons) में दर्ज नहीं हैं, लेकिन मामले के तथ्यों से साबित होते हैं।
शर्त यह है कि इस प्रकार का दोषी ठहराना आरोपी के लिए किसी प्रकार का अन्याय (Prejudice) न करे।
• उदाहरण: अगर किसी सार्वजनिक उपद्रव (Public Nuisance) के मामले की सुनवाई के दौरान यह पता चलता है कि आरोपी ने पर्यावरणीय नियमों (Environmental Rules) का भी उल्लंघन किया है, तो मजिस्ट्रेट उसे इस अतिरिक्त अपराध के लिए भी दोषी ठहरा सकता है।
पिछले प्रावधानों से संबंध (Connection to Previous Provisions)
सेक्शन 278 समन मामलों की पूरी प्रक्रिया का अंतिम चरण है। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए, इसे पिछले प्रावधानों के संदर्भ में देखा जा सकता है:
1. सेक्शन 274: इसमें आरोपी को आरोपों की जानकारी दी जाती है और उससे पूछा जाता है कि वह दोषी मानता है या बचाव करना चाहता है।
2. सेक्शन 275: अगर आरोपी अदालत में दोषी मानता है, तो मजिस्ट्रेट उसे दोषी ठहरा सकता है।
3. सेक्शन 276: आरोपी अदालत में उपस्थित हुए बिना पत्र के माध्यम से दोष स्वीकार कर सकता है।
4. सेक्शन 277: इस सेक्शन में पूरी सुनवाई की प्रक्रिया को समझाया गया है, जिसमें अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है।
5. सेक्शन 278: यह सेक्शन मुकदमे के परिणाम को तय करता है, यानी आरोपी को दोषी ठहराना या बरी करना और कानून के अनुसार सजा देना।
न्याय प्रक्रिया का संतुलन (Balancing Justice and Fairness)
सेक्शन 278 न्याय प्रक्रिया को संतुलित (Balanced) और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करता है कि हर फैसला साक्ष्यों की गहन समीक्षा पर आधारित हो।
यह प्रावधान न्याय प्रणाली में तेजी लाने और छोटे-मोटे अपराधों के मामलों को सरल बनाने के उद्देश्य से बनाया गया है। साथ ही, यह आरोपी के अधिकारों की सुरक्षा और न्याय की निष्पक्षता को प्राथमिकता देता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के ये प्रावधान यह दिखाते हैं कि कानून सभी पक्षों के अधिकारों का सम्मान करते हुए अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध (Committed) है।