जिस प्रकार ग्रामों के लिए अंतिम लोकतंत्र की व्यवस्था पंचायतों के माध्यम से की गई है इसी प्रकार शहरों के लिए नगरपालिकाओं का उल्लेख है।संविधान 74वां संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा नगरों में भी लोकतांत्रिक प्रणाली को सफल बनाने का प्रयास किया गया है। नगरों में श्वेत संस्थाओं की स्थापना की गई है किंतु विभिन्न कारणों से कमजोर प्रभावहीन हो गई है इनके चुनाव समय पर नहीं कराए जाते हैं अधिकांश में निलंबित रहती हैं।
वह प्रशासक द्वारा शासित होती है। इन सब बातों को सुनिश्चित करने के लिए उन संस्थाओं के लिए जोड़ा गया है। इसमें एक नई अनुसूची जोड़ी गई जिससे बारहवीं अनुसूची कहा जाता है जिसमें उन विषयों का उल्लेख किया गया है जिन पर नगर पालिका ने कानून बनाकर अपने नागरिकों का जीवन बेहतर कर सकती है।
आर्टिकल 243 यह कहता है कि इस भाग के उपबंधों के अनुसार प्रत्येक राज्य में नगर पालिकाओं का गठन किया जाएगा। किसी संक्रमणशील क्षेत्र के लिए अर्थात ग्रामीण क्षेत्र से नगरी क्षेत्र में संक्रमणशील क्षेत्र के लिए एक नगर पंचायत चाहे जो नाम हो किसी लघुता क्षेत्र के लिए नगर पालिका परिषद और किसी बड़े नगरी क्षेत्र के लिए नगर निगम नगर की स्थापना ऐसे नगरों के लिए की जाएगी जो ग्रामीण से नगर में परिवर्तित होने की दशा में है।
नगर परिषद छोटे नगरों के लिए बनाई जाएगी और नगर पालिका है बड़े नगरों के लिए गठित की जाएगी परंतु नगर क्षेत्रों या उसके किसी भाग के लिए नगर पालिका का गठन नहीं किया जाएगा जिसे राज्यपाल उस क्षेत्र के आकार को उचित रूप में स्थगित औद्योगिक संस्थान के द्वारा उत्पन्न की गई। राज्यपाल प्रस्तावित नगर पालिका सेवाओं को या अन्य किसी बात को ध्यान में रखते हुए उचित समझता है लोक अधिसूचना द्वारा ऐसे क्षेत्र को एक औद्योगिक शहर के रूप में विनिर्दिष्ट कर सकता है।
इस आर्टिकल के अंतर्गत संक्रमणशील लघुतर नगरी क्षेत्र और बड़े नगरी क्षेत्र से अर्थ ऐसे क्षेत्र से हैं जिसे किसी राज्य की सरकार उस क्षेत्र की जनसंख्या की सघनता स्थानीय प्रशासन के लिए प्राप्त राजस्व कृषि स्तर क्रियाकलापों के नियोजन की प्रतिशतता आर्थिक महत्व या ऐसी ही अन्य बातों को जिसे वह ठीक समझे ध्यान में रखते हुए लोक अधिसूचना द्वारा इस भाग के प्रयोजन के लिए विनिर्दिष्ट करें।
नगर पालिका क्षेत्र से अर्थ नगर पालिका के ऐसे क्षेत्र से हैं जिसे राज्यपाल द्वारा अधिसूचित किया जाए। नगर पालिका से अर्थ ऐसे स्वायत्त शासन की संस्था से है जिसका गठन आर्टिकल 243 के अधीन किया जाता है। नगर पालिकाओं की संरचना आर्टिकल 243 यह कहता है कि खंड 2 में उपबंधित के सिवाय किसी नगर पालिका में सभी स्थान नगर पालिका क्षेत्र के पारदर्शी निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए व्यक्तियों द्वारा भरे जाएंगे। इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक नगर पालिका क्षेत्र को प्रदेश निर्वाचन क्षेत्र में विभाजित किया जाएगा जिसे वार्ड कहा जाएगा।
खंड 2 के अधीन राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा एक नगर पालिका में निम्नलिखित व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व का उपबंध कर सकता है-
ऐसे व्यक्तियों को जिसे नगर पालिका प्रशासन द्वारा विशेष ज्ञान या अनुभव है-
लोक सभा और राज्य की विधानसभा के ऐसे सदस्य जो निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें वह नगर पालिका क्षेत्र पूर्णतः या भागतः आता है।
राज्य सभा और राज्य विधान परिषद के ऐसे सदस्य जो ऐसी नगर पालिका क्षेत्र के भीतर मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।
आर्टिकल 243(घ) के खंड 5 के अधीन गठित समितियों के अध्यक्षों को खंड के अधीन निर्दिष्ट व्यक्तियों को नगर पालिका में मत देने का अधिकार नहीं होगा। राज्य का विधान मंडल विधि बनाकर नगरपालिका के निर्वाचन की रीति विहित करेगा ऐसी नगरपालिका जिसकी संख्या 300000 या उससे अधिक है पारदर्शिता क्षेत्र के भीतर एक या अधिक वार्ड को मिलाकर वार्ड समितियों का गठन किया जाएगा। राज्य का विधान मंडल विधि द्वारा निम्नलिखित की बाबत को उपबंध कर सकता है-
वार्ड समिति के क्षेत्र के भीतर किसी वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाला किसी नगरपालिका का सदस्य उस समिति का सदस्य होगा।
जहां कोई वार्ड समिति एक वार्ड से मिलकर बनी है वहां नगरपालिका उस वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाला सदस्य जहां दो से अधिक वार्ड से मिलकर बनी है वहां नगर पालिका में वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाला सदस्य जो वार्ड समिति द्वारा निर्वाचित किया गया है उस समिति का अध्यक्ष होगा।