नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NI Act) की धारा 138 के अंतर्गत कोई चेक बाउंस होने पर चेक बाउंस का मुकदमा संस्थित किया जाता है परंतु इस प्रकार का मुकदमा संस्थित करने के पूर्व चेक देने वाले व्यक्ति को नोटिस के माध्यम से सूचित किया जाता है।
इस नोटिस का अर्थ होता है कि जिस व्यक्ति ने चेक दिया है उस का दिया हुआ चेक बैंक में किन्हीं कारणों से बाउंस हो जाता है तो इस विषय से चेक देने वाले व्यक्ति को अवगत कराया जाए तथा उससे उस धनराशि को मांगा जाए जिस धनराशि के भुगतान के लिए चेक दिया गया है।
इस नोटिस के उपरांत भी यदि चेक देने वाला व्यक्ति चेक में अंकित की गई राशि का भुगतान नहीं करता है तो इस परिस्थिति में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत चेक को प्राप्त करने वाला व्यक्ति मुकदमा संस्थित कर सकता है तथा चेक में अंकित की गई धनराशि को मुकदमे में खर्च की गई राशि को इस पर ब्याज को प्राप्त कर सकता है।
चेक बाउंस के नोटिस के प्रावधान-
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत इस बात का उल्लेख किया गया है कि यदि कोई चेक बाउंस होता है ऐसी स्थिति में चेक को प्राप्त करने वाला इस प्रकार के डिसऑनर के परिणामस्वरूप वाद कर सकता है। धारा 138 की उपधारा बी के अंतर्गत चेक बाउंस संबंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। धारा 138 उपधारा सी के अंतर्गत उस समय सीमा का उल्लेख किया गया है जिस समय सीमा के बीतने के बाद सूचना देने के बाद कोई वाद न्यायालय में संस्थित किया जा सकता है।
धारा- 138 (बी)
इस धारा के अंतर्गत यह उल्लेख किया गया है कि जिस व्यक्ति को चेक प्राप्त होता है तथा वह चेक को भुनने के लिए बैंक में लगाता है और चेक बाउंस हो जाता है ऐसी परिस्थिति में चेक को प्राप्त करने वाला व्यक्ति इस प्रकार के चेक के डिसऑनर होने की सूचना चेक को देने वाले व्यक्ति को प्रेषित करेंगा। इस प्रकार की सूचना लिखित में दी जाएगी।
ऐसी सूचना जिस दिनांक को चेक बाउंस हुआ है उस दिनांक से 30 दिवस के भीतर चेक देने वाले व्यक्ति को दी जाएगी तथा ऐसी सूचना देने के 15 दिवस के बाद मुकदमा संस्थित किया जाए अर्थात जिस व्यक्ति ने चेक दिया है उस व्यक्ति को रुपयों का भुगतान करने के लिए 15 दिवस का समय दिया जाएगा यदि वह इन 15 दिवस के भीतर चेक बाउंस होने पर राशि का भुगतान नहीं करता है तो ऐसी स्थिति में चेक बाउंस का मुकदमा धारा 138 के अंतर्गत संस्थित कर दिया जाएगा।
वैधानिक नोटिस किसे प्रेषित किया जाएगा-
चेक बाउंस से संबंधित नोटिस उस व्यक्ति को प्रेषित किया जाएगा जिसके द्वारा चेक दिया गया है। यदि इस प्रकार का चेक किसी एकल व्यक्ति द्वारा दिया गया है तो उस व्यक्ति को चेक बाउंस की सूचना दी जाएगी,यदि किसी साझेदारी फर्म द्वारा इस प्रकार का चेक दिया गया है तो साझेदारी फर्म को चेक बाउंस की सूचना दी जाएगी, यदि किसी कंपनी द्वारा इस प्रकार का कोई चेक दिया गया है जो बाउंस हो गया है तो उस कंपनी के कर्ताओं को तथा उसके मैनेजर को इस प्रकार की सूचना दी जाएगी।
लीगल नोटिस तैयार करने का प्रारूप-
जब यह नोटिस किस व्यक्ति को भेजना है निर्धारित हो जाए तो उसके पश्चात नोटिस का प्रारूप तैयार करने का प्रश्न आता है। ऐसे नोटिस का प्रारूप निम्न प्रकार से बनाया जा सकता है-
चेक देने वाले व्यक्ति का नाम पता-
जिस व्यक्ति द्वारा चेक दिया गया है उस व्यक्ति का सही नाम और उसका पता सर्वप्रथम नोटिस में अंकित किया जाएगा। नाम और पता अंकित करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि इसमें किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं होना चाहिए जिससे नोटिस अवैध होता है। नाम और पता वही होना चाहिए जिस पते पर वह व्यक्ति उपलब्ध है और जिस नाम से व्यक्ति जाना जाता है। अब चाहे वह कोई फार्म हो या कोई कंपनी हो।
संव्यवहार का उल्लेख-
कोई भी चेक यूं ही नहीं दिया जाता है अपितु चेक को देने के पीछे कोई संव्यवहार होता है। उसके परिणामस्वरूप इस प्रकार का चेक दिया जाता है जो भी संव्यवहार चेक देने और चेक लेने वाले व्यक्ति के बीच हुआ है उस संव्यवहार का संपूर्ण उल्लेख लीगल नोटिस में किया जाना चाहिए नाम और पता लिखने के बाद संव्यवहार का उल्लेख लिखा जाना चाहिए।
चेक का उल्लेख-
किसी संव्यवहार के पश्चात यदि कोई चेक दिया गया है ऐसे बाउंस होने वाले चेक का संपूर्ण उल्लेख लीगल नोटिस में होना चाहिए। यह चेक किस व्यक्ति के नाम से दिया गया है और किस शाखा में दिया गया है तथा किस बैंक का चेक दिया गया है और किस दिनांक को जारी किया गया है। उस बैंक का आईएफसी कोड क्या है इस संबंध में संपूर्ण जानकारी होना चाहिए।
चेक बाउंस होने की दिनांक-
चेक का उल्लेख करने के बाद बाउंस होने वाले चेक के संबंध में उल्लेख किया जाना चाहिए। किस दिनांक को चेक बाउंस हुआ है तथा किस ब्रांच में उस चेक को लगाया गया था, किन कारणों से वह चेक बाउंस हुआ है, उस चेक बाउंस की जो रसीद प्राप्त की गई है उस रसीद का क्रमांक क्या है तथा कितनी राशि का चेक था।
भुगतान के लिए 15 दिवस का समय-
चेक बाउंस होने पर देने वाले को लीगल नोटिस में अंत में 15 दिवस का समय दिया जाना चाहिए तथा चेक में वह लीगल नोटिस में स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए कि आज दिनांक से 15 दिवस के भीतर चेक में अंकित राशि का भुगतान कर दिया जाए अन्यथा आपके विरुद्ध न्यायालय में वाद संस्थित कर दिया जाएगा।
डालमिया सीमेंट लिमिटेड बनाम गैलेक्सी ट्रेडर्स 2001 के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि चेक बाउंस का लीगल नोटिस चेक देने वाले व्यक्ति के सही पते पर प्रेषित किया जाता है तो चेक को प्राप्त करने वाला कोई इस प्रकार की दलील प्रस्तुत नहीं कर पाएगा कि उसे लीगल नोटिस प्राप्त नहीं हुआ या उसे खाली लिफाफा प्राप्त हुआ या उसको कोई कोरा कागज प्राप्त हुआ यह उपधारणा की जाएगी कि चेक देने वाले व्यक्ति को लीगल नोटिस प्राप्त हो गया है।
नोटिस प्राप्त होने पर भी यदि चेक देने वाला व्यक्ति भुगतान नहीं करता है तब ठीक पंद्रह दिन पूरे होने के बाद एक महीने के भीतर कभी भी चेक बाउंस का केस संबंधित कोर्ट में लगाया जा सकता है।