The Indian Contract Act में Quasi Contracts कैसे होता है?

Update: 2025-09-04 04:07 GMT

संविदा होने के लिए करार की आवश्यकता होती है तब संविदा का निर्माण होता है परंतु सदैव ऐसा नहीं होता है। कुछ संविदाएं तो ऐसी होती हैं जिनमें कोई प्रस्ताव नहीं होता कोई स्वीकृति नहीं होती कोई प्रतिफल का निर्धारण नहीं होता परंतु संविदा का निर्माण हो जाता है। इसे सदृश्य संविदा कहते हैं अर्थात ऐसी संविदा जिसमें संविदा नजर नहीं आती है परंतु संविदा का अस्तित्व होता है। संव्यवहार जिसमें संविदा नजर नहीं आती है परंतु संविदा का निर्माण हो जाता है।

कोई नजर आने वाली संविदा नहीं होने के बाद भी कुछ व्यवहारों को संविदा मान लिया जाता है तथा उन व्यवहारों से होने वाली क्षतिपूर्ति के लिए प्रतिकर वादी को दिलवाया जा सकता है। दामोदर मुदालियर बनाम भारत राज्य के एक पुराने प्रकरण में निर्णय दिया गया था कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति के लिए कार्य किया है तथा उसका आशय ऐसा निशुल्क कार्य करना नहीं था तो अन्य व्यक्ति जिसने ऐसे कार्य का लाभ उठाया है पहले व्यक्ति की भरपाई करने के लिए बाध्य है।

इस वाद में सरकार ने एक तालाब की मरम्मत करवाई जिससे 11 गांवों की सिंचाई हुई। कुछ ग्राम जमीदारों के थे जिन्होंने उक्त मरम्मत से लाभ उठाया था। सरकार का आशय यह सुविधा निशुल्क देना नहीं था अतः कोर्ट ने निर्णय दिया कि वह उक्त तालाब की मरम्मत में हुए खर्च में अपना अनुदान देने के लिए बाध्य थे।

इस प्रकरण से यह समझा जा सकता है कि कोई ऐसा कार्य जो किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति के लिए किया है तथा उस कार्य में कुछ खर्च किया है और ऐसा कार्य निशुल्क करने के आशय से नहीं किया गया था तो ऐसी परिस्थिति में खर्च करने वाला व्यक्ति अपने किए गए खर्च को प्राप्त करने का अधिकारी होता है।

सदृश संविदा को लेखक द्वारा दिए गए उदाहरण के माध्यम से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है-

राम सड़क से जा रहा था तथा उसने सड़क पर एक भीषण वाहन दुर्घटना देखी। इस वाहन दुर्घटना में घनश्याम गंभीर रूप से घायल हो गया तथा उसका रक्त बहने लगा। घनश्याम की मदद करने वाला आस पास कोई नहीं था तथा यदि घनश्याम की मदद नहीं की जाती तो उसकी मृत्यु हो जाती। इस घटना को देखता हुआ राम घनश्याम के निकट घटनास्थल पर पहुंचा और पहुंच कर उसने घनश्याम को अपनी कार में लेटा कर अस्पताल पहुंचाया।

अस्पताल में राम से एक लाख रूपये मांगे गए जिससे घनश्याम के लिए दवाई मंगाई जा सकें। राम ने अस्पताल को एक लाख रूपये का भुगतान कर दिया तथा उससे घनश्याम के लिए दवाई मंगाई गई।

अब यहां पर राम घनश्याम के परिवारजनों से या उसके उत्तराधिकारियों से या स्वयं घनश्याम से अस्पताल को भुगतान किए गए अपने उस एक लाख को प्राप्त करने का अधिकारी होगा।

भारत के सुप्रीम कोर्ट में धारा 70 को लागू करने के लिए निम्नलिखित तत्वों का होना आवश्यक माना है अर्थात यदि किसी संविदा को सदृश्य संविदा माना जाएगा तो किस परिस्थिति में माना जाएगा तथा उस परिस्थिति और व्यवहार में किन तत्वों का होना आवश्यक है।

कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई कार्य विधिपूर्ण करता है या उसे कुछ चीज परिदान करता है कोई ऐसा कार्य या प्रदान की जाने वाली चीज उसके जीवन के लिए अनुकूल होना चाहिए तथा ऐसी प्रदान करने वाली चीज को करने वाला व्यक्ति उसकी भरपाई कराने का हकदार होगा।

उसका आशय ऐसा कार्य निशुल्क करने का नहीं है। जहां कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के लिए विधिपूर्ण कोई बात करता है उसे कोई चीज परिदत्त करता है और यह बात या परिदान निशुल्क करने का आशय ना रखते हुए करता है और ऐसा दूसरा व्यक्ति उस चीज का लाभ उठा लेता है तो उसे प्रदान करने वाला व्यक्ति उसकी भरपाई का अधिकारी होता है।

ऐसा दूसरा व्यक्ति उसका लाभ उठाता है

यह तीनों प्रकार के तत्व पाए जाते हैं तो वादी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकारी होता है तथा यहां पर एक सदृश्य संविदा का निर्माण हो जाता है। ऐसी संविदा जो संविदा तो नहीं होती है परंतु संविदा का बल रखती है।

पश्चिम बंगाल राज्य बनाम बी के मंडल एआईआर 1962 एससी 779 के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया की धारा 70 के अधीन प्रतिकर के लिए दावे का आधार पक्षकारों के मध्य विद्यमान संविदा नहीं है वरन यह है कि एक पक्षकार ने विधिपूर्ण कुछ कार्य दूसरे पक्षकार के लिए किया है और उसने उक्त कार्य से लाभ उठाया है। दिन कुछ कार्य सरकार के लिए किया गया या कुछ वस्तुएं सरकारी अधिकारी की प्रार्थना पर प्रदान की गई है तो धारा 70 लागू होगी को सरकार प्रतिकर देने के लिए बाध्य होगी।

न्यूमेरिकल कंपनी बंगाल प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि यदि सरकार के साथ ऐसी संविदा का पालन अनुच्छेद 299 (1) के अंतर्गत नहीं किया जाता है फिर भी यदि संविदा अधिनियम की धारा 70 के आवश्यक तत्व उपस्थित होते हैं तो कोर्ट अनुतोष प्रदान कर सकता है।

Tags:    

Similar News