अभियुक्त को चार्जेस की स्पष्ट जानकारी देना : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 236

Update: 2024-10-26 11:54 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) या BNSS, जो 1 जुलाई 2024 से लागू हुई है, में आरोपों (Charges) को लेकर स्पष्टता लाने के लिए खास दिशानिर्देश दिए गए हैं। इस नए कानून का उद्देश्य अभियुक्त (Accused) को आरोप के संबंध में सही जानकारी देना है ताकि न्याय की प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

धारा 236 इसी उद्देश्य के लिए बनाई गई है, जो ये सुनिश्चित करती है कि अगर पहले से दिए गए विवरण पर्याप्त नहीं हैं, तो आरोप में अतिरिक्त विवरण (Particulars) जोड़े जाएं। इससे अभियुक्त को पूरी जानकारी मिल सके।

धारा 234 और 235 के तहत सामान्य रूपरेखा

धारा 234 के अनुसार, आरोप की बुनियादी जानकारी जैसे अपराध का नाम, संबंधित कानून की धाराएं, और पूर्व सजा (अगर हो) का विवरण होना चाहिए। यह सामान्य रूपरेखा अभियुक्त को यह समझने में मदद करती है कि उन पर किस प्रकार का अपराध (Offence) आरोपित है।

धारा 235 में इसे और आगे बढ़ाते हुए आरोप से जुड़े समय, स्थान, और जिस व्यक्ति या वस्तु पर अपराध हुआ, उसका विवरण होना जरूरी बताया गया है। इस प्रकार अभियुक्त को अपराध का पूरा संदर्भ मिल पाता है। लेकिन अगर इन विवरणों के बावजूद अभियुक्त को पर्याप्त जानकारी नहीं मिलती है, तो धारा 236 के अंतर्गत आरोप में और विवरण जोड़े जाने की व्यवस्था है।

धारा 236: पर्याप्त सूचना के लिए आरोपों में अतिरिक्त विवरण जोड़ना

धारा 236 के अनुसार, अगर धारा 234 और 235 के तहत दिए गए विवरण अभियुक्त को पर्याप्त सूचना नहीं देते हैं, तो आरोप में अपराध किए जाने के तरीके के बारे में अतिरिक्त विवरण जोड़ने की जरूरत होती है। यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्त को आरोप की संपूर्ण जानकारी मिले और वे अपनी रक्षा की तैयारी कर सकें।

उदाहरण और चित्रण (Illustrations) द्वारा धारा 236 का स्पष्टीकरण

धारा 236 का व्यवहारिक उपयोग समझाने के लिए कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो स्पष्ट करते हैं कि किन मामलों में अधिक विवरण आवश्यक होता है:

• उदाहरण (a): यदि A पर एक वस्तु की चोरी का आरोप है, तो आरोप में यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि चोरी कैसे की गई। इस स्थिति में समय और स्थान का उल्लेख पर्याप्त है।

• उदाहरण (b): अगर A पर B से धोखाधड़ी (Cheating) का आरोप है, तो यह बताना आवश्यक है कि A ने B को किस प्रकार से धोखा दिया। धोखाधड़ी में जटिल गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं, और बिना विवरण के अभियुक्त के लिए समझ पाना मुश्किल हो सकता है।

• उदाहरण (c): अगर A पर झूठे साक्ष्य (False Evidence) देने का आरोप है, तो यह आवश्यक है कि आरोप में वह हिस्सा स्पष्ट रूप से बताया जाए जो झूठा माना जा रहा है, ताकि A को पता चले कि किस बयान या गवाही पर प्रश्न उठाया जा रहा है।

• उदाहरण (d): अगर A पर B नामक लोक सेवक (Public Servant) के कार्य में रुकावट डालने का आरोप है, तो यह भी बताना जरूरी है कि A ने B के कार्य में किस प्रकार से रुकावट डाली।

• उदाहरण (e): अगर A पर B की हत्या का आरोप है, तो आरोप में यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि हत्या किस तरीके से की गई। हत्या का आरोप सीधा होता है, और अतिरिक्त विवरण जरूरी नहीं है।

• उदाहरण (f): अगर A पर किसी कानून के आदेश का उल्लंघन करके B को सजा से बचाने का आरोप है, तो आरोप में उल्लंघन के तरीके और उस विशेष कानून का विवरण दिया जाना आवश्यक है।

धारा 236 का उद्देश्य और प्रभाव

धारा 236 का उद्देश्य अभियुक्त को आरोप की स्पष्ट जानकारी देना है ताकि वे अपनी रक्षा सही ढंग से कर सकें। इससे न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है, और अभियुक्त को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर कोई संदेह नहीं रहता है।

यह अभियुक्त के अधिकारों (Rights) को भी सुरक्षित रखने का कार्य करता है ताकि उन्हें अपने बचाव के लिए पर्याप्त समय और सूचना मिल सके।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 236 एक मजबूत कानूनी प्रावधान (Provision) है जो न्यायिक प्रक्रिया को साफ और पारदर्शी बनाए रखने में सहायक है। जहाँ धारा 234 और 235 आरोप की सामान्य रूपरेखा को तैयार करती हैं, वहीं धारा 236 उसमें और अधिक विवरण जोड़ने का प्रावधान करती है ताकि जटिल मामलों में अभियुक्त को पर्याप्त जानकारी मिल सके।

BNSS का यह विस्तृत दृष्टिकोण न्याय के आधारभूत सिद्धांतों का पालन करता है और अभियुक्त के अधिकारों को सुनिश्चित करता है।

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