भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 303 में चोरी की परिभाषा और इससे जुड़े प्रावधानों का उदाहरण भाग III
इस लेख के पिछले भागों में हमने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 303 में चोरी (Theft) की परिभाषा और इससे जुड़े प्रावधानों का विश्लेषण किया। इस भाग में हम चोरी के अतिरिक्त उदाहरणों का अध्ययन करेंगे, जो धारा 303 के तहत कानून के व्यावहारिक उपयोग को स्पष्ट करते हैं। प्रत्येक उदाहरण को चोरी के संबंधित स्पष्टीकरण (Explanation) से जोड़ा गया है।
उदाहरण (h): वस्तु को छिपाना और बाद में गलत तरीके से लेना (Explanation 3)
इस स्थिति में, A ने Z के घर में टेबल पर रखी एक अंगूठी देखी। तुरंत चोरी करने का साहस न करके, A अंगूठी को एक ऐसी जगह छिपा देता है, जहां Z के इसे ढूंढने की संभावना बेहद कम है। A ने इसे बाद में बेचने का इरादा बनाया। जैसे ही A ने अंगूठी को पहली बार हिलाया, उसने चोरी की। यह Explanation 3 पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि किसी वस्तु को हिलाने (Move) का कार्य, चाहे वह बाधा को हटाकर हो, चोरी मानी जाएगी।
उदाहरण (i): अपनी ही संपत्ति को ईमानदारी के बिना वापस लेना (Explanation of Dishonesty)
इस उदाहरण में, A ने अपनी घड़ी मरम्मत के लिए जौहरी Z को दी। बाद में, A बिना किसी बकाया राशि के घड़ी को जबरदस्ती वापस ले लेता है। यहां, भले ही A ने आपराधिक अतिक्रमण (Criminal Trespass) या हमला (Assault) किया हो, उसने चोरी नहीं की, क्योंकि इसमें ईमानदारी की कमी (Dishonest Intent) नहीं है। चोरी में ईमानदारी से किसी अन्य का नुकसान या अपना गलत लाभ शामिल होना चाहिए।
उदाहरण (j): उधार ली हुई संपत्ति को बकाया राशि चुकाए बिना लेना (Explanation of Dishonesty)
अगर A ने Z की घड़ी मरम्मत के लिए दी है और Z इसे बकाया राशि की सुरक्षा के रूप में रखता है, और A इसे ईमानदारी से (Dishonestly) वापस लेता है, तो यह चोरी होगी। यह दिखाता है कि गलत इरादा (Wrongful Intention) कैसे वैध अधिकार (Lawful Security) को भी चोरी बना सकता है।
उदाहरण (k): अपनी गिरवी रखी संपत्ति को गलत तरीके से वापस लेना (Explanation of Possession)
अगर A ने अपनी घड़ी गिरवी रखी है और बिना उधारी चुकाए इसे Z से वापस ले लेता है, तो यह चोरी है। भले ही घड़ी A की है, वह Z के वैध अधिकार (Lawful Possession) में थी। इसे बिना अनुमति के लेना Explanation 5 के तहत चोरी मानी जाएगी।
उदाहरण (l): इनाम के बदले संपत्ति रोकना (Explanation 5)
इस उदाहरण में, A ने Z की संपत्ति को उसकी सहमति (Consent) के बिना लिया, ताकि Z उसे वापस पाने के लिए इनाम (Reward) दे। यह कार्य ईमानदारी से नहीं किया गया, इसलिए यह चोरी है। Explanation 5 इस प्रकार की गलत नीयत (Dishonesty) को चोरी के दायरे में लाता है।
उदाहरण (m): अनुमानित सहमति के साथ लेना (Explanation of Consent)
यहां, A ने Z के पुस्तकालय से एक किताब पढ़ने और वापस करने के इरादे से ली, यह सोचकर कि Z सहमत होगा। यदि A को वास्तव में यह लगा कि उसे सहमति (Implied Consent) मिली है, तो उसने चोरी नहीं की। यह Explanation 5 की गहराई को दर्शाता है, जहां गलत नीयत न होने पर चोरी का अपराध नहीं बनता।
उदाहरण (n): किसी अनधिकृत व्यक्ति से दान लेना (Explanation of Consent)
इस स्थिति में, A ने Z की पत्नी से दान लिया, यह मानते हुए कि वह इसे देने की अधिकारी (Authorized) है। यदि A ने ईमानदारी से ऐसा माना, तो यह चोरी नहीं है। Explanation 5 में अच्छे विश्वास (Good Faith) के मामलों को मान्यता दी गई है।
उदाहरण (o): बिना अधिकार के संपत्ति लेना (Explanation of Dishonesty)
अगर A, Z की पत्नी से कोई कीमती वस्तु लेता है, यह जानते हुए कि वह इसे देने के लिए अधिकृत नहीं है, तो यह चोरी होगी यदि A इसे ईमानदारी से लेता है। यह Explanation of Dishonesty पर आधारित है, जिसमें संपत्ति के वैध अधिकार का सम्मान करना अनिवार्य है।
उदाहरण (p): संपत्ति को अपनी समझ से लेना (Explanation of Dishonesty)
इस उदाहरण में, A ने यह सोचकर Z की संपत्ति ली कि वह उसकी अपनी है। यहां, चूंकि A का इरादा गलत नहीं था, उसने चोरी नहीं की। यह दिखाता है कि जब तक ईमानदारी (Dishonesty) का तत्व शामिल न हो, चोरी का अपराध नहीं बनता।
चोरी के लिए सजा
धारा 303 के अनुसार, चोरी के लिए तीन साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। बार-बार चोरी करने वालों को एक से पांच साल की कठोर कैद (Rigorous Imprisonment) और जुर्माने की सजा हो सकती है। हालांकि, पहली बार अपराध करने वाले और ₹5,000 से कम मूल्य की संपत्ति चुराने वालों को, अगर वे संपत्ति वापस कर देते हैं, तो जेल की बजाय सामुदायिक सेवा (Community Service) का दंड दिया जा सकता है।
ये उदाहरण धारा 303 के व्यावहारिक उपयोग को दर्शाते हैं और बताते हैं कि कैसे इरादा (Intent), अधिकार (Possession), और सहमति (Consent) चोरी की परिभाषा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रावधान न केवल गलत नीयत वाले कार्यों को अपराध घोषित करता है, बल्कि अच्छे विश्वास या सहमति के मामलों में लोगों को संरक्षण भी देता है। इससे भारतीय न्याय संहिता, 2023 न्याय की संतुलित दृष्टि को सुनिश्चित करती है।