इस अपराध के आपराधिक लक्षण को निर्धारित करने में निम्नलिखित प्रारूपिक स्थितियों, जहाँ पर बलात्संग अधिकांशत होता है, को सुभेदित करना महत्वपूर्ण होता है
बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति पार्टी, विवाह के स्वागत, आदि में रहते समय बलात्संग कारित करने के आशय से उस मदमत्त स्थिति का लाभ लेता है,
बलात्संग करित करने वाला व्यक्ति पीड़िता से सार्वजनिक स्थान (रेस्तरां में या बीच आदि पर) मिलता है, और धोखा के माध्यम से उसे एकान्त स्थान पर ले जाता है, जहाँ पर बलात्संग कारित किया जाता है।
बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति पीड़िता से यान (कार, मोटरबोट) के पहिए के पीछे मिलता है और उसे या तो उस पर चढ़ने या उसे दिये गये गन्तव्य स्थान तक ले जाने का प्रस्ताव करता है। रास्ते में बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ बलात्संग कारित करने के आशय से उसे एकान्त स्थान पर ले जाता है।
बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति पीड़िता से संयोगवश एकान्त स्थान (वन, पान) में मिलता है और उस पर एकाएक आक्रमण कर देता है।
बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति पीड़िता से रास्ते में पहले से ही मिलता है और गुप्त रूप में उसके पीछे-पीछे एकान्त स्थान तक जाता है. उस पर एकाएक आक्रमण कर देता है।
बलात्संग कारित करने वाला व्यक्ति अवयस्क से या तो संयोगवश मिलता है या साशय उसका पीछा करता है (यह अधिकांशतः प्रागढ़ में, दिन के देखभाल केन्द्र के नजदीक तथा स्कूल के भवन में होता है) और धोखा के माध्यम से उसे एकान्त स्थान में ले जाता है तथा उसके साथ बलात्संग कारित करता है।
लैंगिक व्यवहार मानव के लैंगिक व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए डोनाल्ड टैपट ने यह संप्रेक्षण किया है कि कामुकता के जीवविज्ञानीय घटना होने के कारण कोई विनिर्दिष्ट प्रशिक्षण आवश्यक नहीं है। मानव के विकास के साथ जैव-शारीरिकीय परिवर्तन पुरुष और स्त्री को लैंगिक व्यवहार के लिए स्वतः तैयार करते हैं। जहाँ तक सन्तानोत्पत्ति को नियंत्रित करने के लिए बाह्य चिकित्सीय उपकरणों की निरर्थकता का सम्बन्ध है, उसने यह संप्रेक्षण किया है कि गर्भनिरोधक की जानकारी अनावश्यक है, क्योंकि वह अनैतिक व्यवहार के भय को समाप्त कर देगा।
लोग संभाव्य गर्भधारण अथवा जन्म के बिना चतुराई से मैथुन अपचारिता में लिप्त होने के लिए स्वतंत्र हो जायेंगे। लेकिन, यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि वर्तमान नैतिक भ्रम तथा धार्मिक मंजूरियों के समाप्त होने वाले प्रभाव ने मैथुन अपचारिता में अप्रत्याशित वृद्धि किया है। मैथुन के अपराध आजकल इतने सामान्य हो गये है कि लोग उनके बारे में सभी गंभीरता खो दिये हैं और वे मानव व्यवहार के सामान्य ढंग के रूप में दिख रहे हैं।
पीडिता की चरित्र की रुपरेखा उन चरित्र के लक्षणों, जो बलात्संग को आमंत्रित कर सकते हैं. को साबित करने में महत्त्वपूर्ण होती है। उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण अत्यधिक विश्वस्तता, अन्तर्निहित अप्रज्ञा अथवा लापरवाही और कतिपय मामलों में, कुछ पीड़िताओं का तुच्छ अथवा नैतिक व्यवहार भी होता है, जो कतिपय परिस्थितियों के अधीन ऐसी स्थिति में न आने के लिए प्रत्येक संभाव्य अवसर प्रदान किया था, जो बलात्संग (जो मदिरा, आदि के प्रयोग से प्रेरित न हो) को अग्रसर कर सकता है।
इस प्रश्न पर विकास यशवन्त मडावी बनाम महाराष्ट्र राज्य, 2021 सीआरएलजे 2872 अभियुक्त खेलने के बहाने पीड़िता को अपने शयन कक्ष में ले गया था और अभिकथित ढंग से पीड़िता पर लैंगिक हमला किया था। पीड़िता की माता के परिसाक्ष्य की अभिपुष्टि पीड़िता की चचेरी बहन द्वारा की गयी थी, जिसने अधिकथित किया था कि उसने अभियुक्त को पीड़िता को कपड़ा पहनाते हुए देखा था। पीड़िता की माता और पीड़िता की चचेरी बहन के अभिसाक्ष्य की भी अभिपुष्टि चिकित्सीय साक्ष्य द्वारा की गयी थी।
पीड़िता की अवयस्क आयु के कारण अपरीक्षा अभियोजन मामले पर अविश्वास करने के लिए आधार नहीं है। इसके अतिरिक्त कोई सत्याभाषी स्पष्टीकरण नहीं था कि क्यों अभियुक्त को मिथ्या ढंग से आलिप्त किया जायेगा क्योंकि पीड़िता नियमित रूप से अभियुक्त के घर आया-जाया करती थी। कोई ऐसी प्रतिरक्षा साक्षियों की प्रतिपरीक्षा के समय नहीं उठायी गयी थी। इस प्रकार भार का निर्वहन करने के लिए अभियुक्त की असफलता उस पर अधिरोपित की गयी है। इसलिए अभियुक्त की दोषसिद्धि उचित निर्णीत की गयी थी।
पीड़िता की माता (अभियोजन साक्षी 1) के साक्ष्य की सम्यक् रूप से अभिपुष्टि पीड़िता की चचेरी बहन (अभियोजन साक्षी 5) द्वारा की गयी है अभियोजन साक्षी 5 का साक्ष्य दर्शित करता है कि अपीलार्थी अपनी चचेरी बहन (पीडिता) को अपने शयन कक्ष में ले गया था। उसने अधिकथित किया है कि उसने अपीलार्थी को उसकी चचेरी बहन का नेकर पहनाते हुए देखा था और इसके पश्चात् अपीलार्थी उनके लिए आईस क्रीम लाया था। अभियोजन साक्षी 5 के साक्ष्य का परिशीलन करने के पश्चात्, उसके परिसाक्ष्य पर अविश्वास करने के लिए उसकी प्रतिपरीक्षा में कोई चीज नहीं है।
दोनों साक्षियों अर्थात् अभियोजन साक्षी 1 और अभियोजन साक्षी 5 के साक्ष्य की सम्यक् रूप से अभिपुष्टि चिकित्सा अधिकारी द्वारा की गयी है, जिसने अधिकथित किया है कि अभिलिखित इतिहास लैंगिक हमला की सम्भाव्यता को दर्शित करता है। कोई सत्याभाषी कारण अभिलेख पर या तो अभियोजन साक्षी 1 कमोवेश अभियोजन साक्षी 5 (आयु 5 वर्ष) के लिए अपीलार्थी को मिथ्या ढंग से आलिप्त करने के लिए नहीं आया है, क्योंकि अभिलेख पर साक्ष्य से, अभियोजन साक्षी 1 और अपीलार्थी के बीच सम्बन्ध हार्दिक होना प्रतीत होता है। यह भी स्पष्ट है कि लड़की अपीलार्थीगण के घर में खेलने के लिए जायेगी। एफआईआर तत्परता से अभियोजन साक्षी 1 द्वारा अगले दिन दाखिल की गयी थी। इस प्रकार, अभिलेख पर साक्ष्य स्पष्ट रूप से दर्शित करता है कि अभियोजन ने अपीलार्थी के विरुद्ध युक्तियुक्त सन्देह के परे अपने मामले को साबित किया है।