इस एक्ट की धारा 148 के अंतर्गत उपनिधान, उपनिहिती और उपनिधाता के शब्द की परिभाषा प्रस्तुत की गई है। इस धारा में Bailment के संदर्भ में विस्तृत उल्लेख कर दिया गया है। Bailment में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन हेतु माल का प्रदान करना होता है इससे संबंधित शर्त विवक्षित अथवा अभिव्यक्त होती है। यह एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन के लिए इस संविदा के अंतर्गत माल का प्रदान करना है की उक्त प्रायोजन के पूरा होने पर वह माल प्रदान करने वाले व्यक्ति को वापस कर दिया जाएगा अथवा परिदत करने वाले व्यक्ति के निर्देश अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति को दे दिया जाएगा।
एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी संविदा के अधीन किसी माल अथवा वस्तु का किसी विशिष्ट उद्देश्य अथवा प्रयोजन के लिए इस शर्त का परिदान कि वह उद्देश्य अथवा प्रयोजन पूरा होते ही वह माल अथवा वस्तु उसके स्वामी को लौटा दी जाएगी या उसके निर्देश अनुसार व्ययनित (disposed) कर दी जाएगी, Bailment है।
Bailment के कुछ उदाहरण बाजार में देखने को मिलते हैं जो निम्न हो सकते हैं-
साइकिल को साइकिल स्टैंड पर रखना
मोटरसाइकिल को मरम्मत के लिए मैकेनिक को देना
आभूषण बनाने हेतु स्वर्णकार को देना
कपड़ा ड्राई क्लीनर के लिए देना
कपड़ा स्त्री के लिए धोबी को देना
कपड़ा सिलने के लिए दर्जी को देना
इन सब प्रकार के संव्यवहारों में Bailment की संविदा के तत्वों की प्रधानता मिलती है। माल का प्रदान करने वाले व्यक्ति को उपनिधाता कहते हैं और जिसको माल दिया जाता है उसे उपनिहिती कहते हैं।
इसके अंतर्गत स्वर्ण एवं कीमती धातु आदि का परिदान भी आता है जिसे स्वर्णकार को प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत पारेषण हेतु वस्तु का प्रदान किया जाना भी आता है, इसके अंतर्गत कतिपय मुद्राओं का संदाय आदि भी आता है जो किसी दस्तावेज आदि के संदर्भ में बैंक के जिम्मे में रखा गया है।
किसी संपदा को जब एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है तो जिसको माल दिया जाता है वह उपनिहिती के रूप में अपने कर्तव्य के प्रति बाध्य हो जाता है क्योंकि उसके अंतर्गत एक विधिमान्य संविदा का सृजन हो जाता है।
स्टेट आफ गुजरात बनाम मेमन मोहम्मद हाजी हसन एआईआर 1967 एससी 1855 के प्रकरण में कहा गया है Bailment के लिए माल का कब्जा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को दिया जाना आवश्यक है। इससे माल का स्वामित्व अपने दाता के पास ही रहता है माल का केवल कब्जा उपनिहिती को दिया जाता है।
यह ध्यान देने की बात है कि माल का परिदान वास्तविक या प्रदर्शित हो सकता है। जब माल का भौतिक कब्जा उपनिधाता द्वारा उपनिहिती को दे दिया जाता है तो इसे वास्तविक परिदान कहते हैं परंतु जब परिदान वास्तविक रूप में न हो तो ऐसी स्थिति में इसे परिलक्षित परिदान कहते हैं।
धारा 148 में दी गई परिभाषा के अनुसार Bailment एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किसी प्रयोजन के लिए इस संविदा पर माल का प्रदान करना है कि जब वह प्रयोजन पूर्ण हो जाए तो वह लौटा दिया जाएगा या उसे प्रदान करने वाले व्यक्ति के निर्देशों के अनुसार अन्यथा उपबंध कर दिया जाएगा। माल का प्रदान करने वाला उपनिधाता कहलाता है वही जिसे परिदान किया गया जाता है उपनिहिती कहलाता है।