सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 आदेश भाग 10: आदेश 3 नियम 5 एवं 6 के प्रावधान
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908(Civil Procedure Code,1908) का आदेश तीन अभिकर्ता एवं वकील से संबंधित है। इस आदेश के अंतर्गत अभिकर्ता एवं वकील से संबंधित समस्त प्रावधानों को डाल दिया गया है। पिछले आलेख में आदेश 3 के नियम 4 पर चर्चा की गई थी, इस आलेख में नियम 5 एवं नियम 6 पर सारगर्भित चर्चा की जा रही है।
नियम-5 प्लीडर पर आदेशिका की तामील- किसी आदेशिका के बारे में, जिसकी तामील ऐसे प्लीडर पर कर दी गई है जिसे किसी पक्षकार की ओर से न्यायालय में कार्य करने के लिए सम्यक् रूप से नियुक्त किया गया है या जो ऐसे प्लीडर के कार्यालय में उस स्थान में जहाँ वह मामूली तौर पर निवास करता है, छोड़ दी गई है चाहे वह पक्षकार की स्वीय उपसंजाति के लिए हो या नहीं, यह उपधारणा की जाएगी कि वह उस पक्षकार को सम्यक् रूप से संसूचित कर दी गई है और ज्ञात करा दी गई है, जिसका प्रतिनिधित्व वह प्लीडर करता है, और जब तक न्यायालय अन्यथा निर्दिष्ट न करे तब तक वह समस्त प्रयोजनों के लिए वैसे ही प्रभावी होगी मानो स्वयं पक्षकार को वह दी गई थी या स्वयं पक्षकार पर उसकी तामील की गई थी।
यह नियम प्लीडर पर की गई आदेशिका की तामील को पक्षकार स्वयं पर की गई तामील को उपधारणा करती है।
तामील की शर्तें व उपधारणा-
प्लीडर (वकील) को न्यायालय में कार्य करने के लिए नियम 1 में बताए अनुसार नियुक्त किया गया है।
ऐसे वकील पर आदेशिका की तामील व्यक्तिगत रूप से की गई है या उसके कार्यालय या निवास स्थान पर दे दी गई है।
ऐसी आदेशिका पक्षकार के स्वयं उपस्थित होने के लिए भी हो सकती है।
ऐसी तामील होने पर यह उपधारणा की जाएगी (ऐसा माना जाएगा) कि-
(1) वह तामील पक्षकार को कर दी गई है और उसकी सूचना प्लीडर ने उस पक्षकार को दे दी है, और
(2) न्यायालय द्वारा यदि अन्यथा निदेश न दिया गया हो, तो वह समस्त प्रयोजनों के लिए स्वयं पक्षकार को तामील समझी जायेगी।
उपनियम 5 के अधीन यह उपधारणा की गई है कि प्लीडर को दिया गया नोटिस पक्षकार को दिया गया नोटिस माना गया है। वह वकालतनामा या उपसंजाति का ज्ञापन न्यायालय में प्रस्तुत किये बिना उपस्थित नहीं हो सकता। अपने वादार्थों पक्षकार के विशेष निर्देशों के अभाव में वह राजीनामा नहीं कर सकता है।
प्रतिवादी के विरुद्ध एकपक्षीय डिक्री - यदि आदेशिका की तामील पक्षकार के प्लीडर पर कर दी गई है, किन्तु सूचना न होने के कारण प्रतिवादी अनुपस्थित रहता है और एकपक्षीय डिक्री पारित कर दी जाती है, तो ऐसी सूचना मिलने की उपधारणा नहीं की जा सकती और वह खण्डनीय है।
उपधारणा का स्वरूप [ आदेश 3 नियम 5 सपठित साक्ष्य अधिनियम, 1872 भाग 4]' उपधारणा करेगा 'और 'उपधारणा कर सकेगा' का निर्वचन उपधारणा कर सकेगा' तथ्य संबंधी उपधारणा है और 'उपधारणा करेगा' विधि की उपधारणा है और आदेश 3 नियम 5 में प्रयुक्त पद 'उपधारणा करेगा' का वही अर्थ है, जो इसका साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 में दिया गया है।
काउन्सेल (वकील) के कर्तव्य का स्वरूप [आदेश 3 का नियम 5)— वाद में एकपक्षीय डिक्री पारित कर दिए जाने से ही उस वाद में कार्यवाही समाप्त नहीं हो जाती और पक्षकारों के काउन्सेलों का कर्तव्य समाप्त हुआ नहीं समझा जा सकता। प्रतिवादी द्वारा एकपक्षीय डिक्री को अपास्त कराने के लिए किए गए आवेदन के सम्बन्ध में वादों के काउन्सेल पर समन की तामील की वादी पर की गई तामील समझा जाएगा।
एकपक्षीय डिक्री पारित किए जाने के पूर्व प्रतिवादी के काउन्सेल की सुनवाई के लिए दी गई सूचना प्रतिवादी का सूचना न होने के कारण उसकी न्यायालय में अनुपस्थिति — ऐसी सूचना मिलने की उपधारणा प्रत्येक परिस्थिति में ऐसी उपधारणा नहीं की जा सकती और ऐसी उपधारणा खण्डनीय है।
नियम-6 अभिकर्त्ता तामील का प्रतिग्रहण करेगा
(1) नियम 2 में वर्णित मान्यता प्राप्त अभिकर्त्ताओं के अतिरिक्त ऐसा कोई व्यक्ति जो न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है, आदेशिका की तामील का प्रतिग्रहण करने के लिए अभिकर्त्ता नियुक्त किया जा सकेगा।
(2) नियुक्ति लिखित में होगी और न्यायालय में फाइल की जाएगी ऐसी नियुक्ति विशेष या साधारण हो सकेगी और ऐसी लिखत द्वारा की जाएगी जो मालिक द्वारा हस्ताक्षरित हो और ऐसी लिखत या यदि नियुक्ति साधारण है तो उसकी प्रमाणित प्रति न्यायालय में फाइल की जाएगी।
(3) न्यायालय, वाद के किसी ऐसे पक्षकार को जिसका कोई ऐसा मान्यता प्राप्त अभिकता नहीं है जो न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है अथवा जिसका कोई ऐसा प्लीडर नहीं जो उसकी ओर से न्यायालय में कार्य करने के लिए सम्यक् रूप से नियुक्त किया गया है, वाद के किसी भी प्रक्रम पर यह आदेश दे सकेगा कि वह अपनी ओर से आदेशिका की तामील का प्रतिग्रहण करने के लिए विनिर्दिष्ट समय के भीतर ऐसा अभिकर्ता नियुक्त करे जो न्यायालय की अधिकारिता के भीतर निवास करता है।
नियम 6 तामील को प्राप्त करने के लिए ऐसा अभिकर्ता नियुक्त करने के बारे में है, जो मान्यता प्राप्त अभिकर्ताओं के अतिरिक्त (अलावा) होंगे।
अभिकर्ता की नियुक्ति की शर्तें व उस पर तामील - नियम 6 की शर्तों का सारांश यह है-
(1) आदेशिका की तामील ग्रहण करने के लिए अभिकर्ता नियुक्त किया जा सकता है, जो नियम 2 में वर्णित मान्यता प्राप्त अभिकर्ता के अलावा होगा।
(2) वह व्यक्ति न्यायालय की अधिकारिता की सीमा के भीतर निवास करता हो।
(3) नियुक्ति लिखित में होगी और मालिक द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
(4) ऐसी लिखत या उसकी प्रमाणित प्रति न्यायालय में फाइल की जावेगी।
(5) किसी पक्षकार का मान्यता प्राप्त अभिकर्ता या प्लीडर न होने पर न्यायालय किसी भी प्रक्रम पर आदेशिका की तामील करने के लिए अभिकर्ता नियुक्त करने का आदेश पक्षकार को दे सकेगा।
नियम 6 (2) के अधीन लिखत (प्राधिकार पत्र) के अभाव में याची (प्रार्थिनी) का पति उसका एजेन्ट नहीं माना जा सकता, जो इस नियम के अधीन आदेशिका की तामील कर सके।'
भारत संघ की ओर से अपील- राजस्थान उच्च न्यायालय के सहायक सरकारी अधिवक्ताओं को आदेश 27 के नियम 8ख के प्रयोजनों के लिए नियुक्त किया गया। ऐसे अधिवक्ता भारत संघ की ओर से अपील का ज्ञापन फाइल नहीं कर सकते। डाकघर अधीक्षक अभिवचनों को हस्ताक्षरित तथा सत्यापित करने के लिए अधिकृत होते हुए भी, भारत संघ की ओर से अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं कर सकता। उपनियम (6) सरकारी अधिवक्ता को केन्द्रीय सरकार की ओर से कार्य करने की शक्ति नहीं देता है।
सरकारी अधिवक्ता द्वारा प्रतिनिधित्व - एक सरकारी अधिवक्ता न्यायालय की प्रत्येक कार्यवाही में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। उसे सरकार की ओर से वकालतनामा दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। केवल उपस्थिति का ज्ञापन दाखिल कर देना पर्याप्त होगा।