वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का अध्याय II — प्राधिकरणों की नियुक्ति और शक्तियाँ
अध्याय II (Chapter II) का मुख्य उद्देश्य है कि केंद्र और राज्य सरकारें वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Protection) के लिए विशेष Authorities (प्राधिकरण) और अधिकारियों की नियुक्ति करें। इन प्रावधानों के माध्यम से अधिनियम एक संस्थागत ढांचा (Institutional Framework) खड़ा करता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कानून केवल कागज़ी न रहकर ज़मीन पर भी लागू हो। इस अध्याय में विशेष रूप से तीन धाराएँ (Sections) महत्वपूर्ण हैं—धारा 3, धारा 4 और धारा 5।
धारा 3 — निदेशक और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति (Appointment of Director and Other Officers)
धारा 3 केंद्र सरकार को यह अधिकार देती है कि वह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक Director of Wildlife Preservation (वन्यजीव संरक्षण निदेशक) नियुक्त करे। इसके साथ ही केंद्र सरकार आवश्यकतानुसार अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी नियुक्त कर सकती है।
निदेशक का कार्य केवल प्रशासनिक आदेश देना नहीं है, बल्कि पूरे देश में वन्यजीव संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों और नीतियों की निगरानी करना भी है। कानून यह भी कहता है कि निदेशक केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले सामान्य या विशेष आदेशों के अधीन होगा। इसका अर्थ यह है कि निदेशक स्वतंत्र रूप से कार्य करता है लेकिन उसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करना है।
उदाहरण के लिए, यदि केंद्र सरकार किसी विशेष प्रजाति जैसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम शुरू करती है, तो उस योजना के क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी निदेशक और उसके अधीनस्थ अधिकारियों की होगी।
धारा 4 — मुख्य वन्यजीव वार्डन और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति (Appointment of Chief Wildlife Warden and Other Officers)
धारा 4 राज्य सरकार को यह शक्ति देती है कि वह एक Chief Wildlife Warden (मुख्य वन्यजीव वार्डन) नियुक्त करे। इसके अलावा, राज्य सरकार Wildlife Wardens (वन्यजीव वार्डन), Honorary Wildlife Wardens (मानद वन्यजीव वार्डन) और अन्य आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति भी कर सकती है।
इस व्यवस्था से राज्य स्तर पर एक मज़बूत प्रशासनिक ढांचा तैयार होता है। धारा स्पष्ट करती है कि मुख्य वन्यजीव वार्डन अपने कर्तव्यों और शक्तियों का प्रयोग राज्य सरकार के सामान्य या विशेष निर्देशों के अधीन करेगा। इसका तात्पर्य यह है कि नीति-निर्माण और अंतिम निर्णय का अधिकार राज्य सरकार के पास है, जबकि उसके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी Chief Wildlife Warden पर होती है।
साथ ही, धारा 4 यह भी कहती है कि Wildlife Wardens और Honorary Wildlife Wardens मुख्य वार्डन के अधीनस्थ होंगे। इसका व्यावहारिक महत्व यह है कि संरक्षण से जुड़ी किसी भी कार्रवाई में आदेश की अंतिम ज़िम्मेदारी और अधिकार Chief Wildlife Warden के पास ही रहेगा।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए राजस्थान सरकार रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambhore National Park) में बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष गश्ती दल बनाती है। इस गश्ती दल का नियंत्रण संबंधित Wildlife Wardens के पास होगा, लेकिन वे सभी Chief Wildlife Warden के अधीन कार्य करेंगे और अंततः उन्हीं के आदेशों का पालन करेंगे।
Honorary Wildlife Wardens की नियुक्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये वे लोग होते हैं जो सरकारी कर्मचारी नहीं होते, परंतु समाज में संरक्षण कार्यों के प्रति सक्रिय रहते हैं। उदाहरण के लिए, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों को मानद वार्डन नियुक्त किया गया है ताकि वे स्थानीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण का काम देख सकें।
धारा 5 — शक्तियों का प्रत्यायोजन (Power to Delegate)
धारा 5 एक व्यावहारिक प्रावधान है जो बताता है कि नियुक्त किए गए उच्च अधिकारी अपने कुछ अधिकार और कर्तव्यों को अधीनस्थ अधिकारियों को सौंप सकते हैं।
धारा कहती है कि निदेशक केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से अपने कुछ अधिकार अधीनस्थ अधिकारियों को लिखित आदेश के माध्यम से दे सकता है। इसी प्रकार, Chief Wildlife Warden भी राज्य सरकार की अनुमति से अपने अधिकार अधीनस्थ अधिकारियों को सौंप सकता है। लेकिन एक महत्वपूर्ण अपवाद रखा गया है—Chief Wildlife Warden अपने अधिकारों में से धारा 11(1)(a) के तहत प्राप्त अधिकार (जो शिकार की अनुमति से संबंधित है) किसी अधीनस्थ को नहीं दे सकता।
इस प्रावधान का व्यावहारिक महत्व तब सामने आता है जब बड़े राज्यों में अनेक Sanctuary (अभयारण्य) और National Park (राष्ट्रीय उद्यान) फैले हुए होते हैं। ऐसे में Chief Wildlife Warden के लिए हर कार्य में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करना संभव नहीं होता। इसलिए वे गश्त, लाइसेंस जाँच, और अन्य छोटे-छोटे प्रशासनिक कार्य अधीनस्थ अधिकारियों को सौंप सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि मध्य प्रदेश में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (Kanha National Park) में किसी अवैध शिकार की सूचना मिलती है, तो Chief Wildlife Warden स्वयं वहाँ न जाकर उस क्षेत्र के Wildlife Warden या Range Officer को कार्रवाई का अधिकार सौंप सकता है।
अध्याय II के प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि वन्यजीव संरक्षण की जिम्मेदारी केवल कानून की पुस्तकों में सीमित न रह जाए, बल्कि केंद्र और राज्य स्तर पर ठोस प्रशासनिक ढांचा बने। केंद्र सरकार का निदेशक राष्ट्रीय स्तर पर कामकाज देखता है, जबकि राज्य सरकार का Chief Wildlife Warden स्थानीय स्तर पर कार्रवाई करता है। अधीनस्थ अधिकारियों और Honorary Wardens की नियुक्ति से यह ढांचा और भी मज़बूत होता है।
धारा 5 का प्रत्यायोजन (Delegation) का प्रावधान अधिनियम को व्यवहारिक बनाता है क्योंकि यह काम को विकेंद्रीकृत (Decentralized) करता है और हर स्तर पर जवाबदेही तय करता है। इस तरह यह अध्याय वन्यजीव संरक्षण की पूरी प्रशासनिक रीढ़ (Backbone) है।