गाली गलौज और जान से मारने की धमकी देना आए दिन देखने को मिलता है। हमारे सामाजिक जीवन में अनेक व्यवहार होते हैं। ऐसे व्यवहारों में कई बार हमारे विवाद भी हो जाते हैं। व्यापारिक व्यवहार, सामाजिक व्यवहार या पारिवारिक व्यवहार। किसी भी परिस्थिति में हमारे छुटपुट विवाद हो जाते हैं, जहां लोग एक दूसरे को गाली गलौज या फिर जान से मारने की धमकियां देते हैं।
देखने में आता है कि एक ही कॉलोनी में रहने वाले लोग विवाद होने पर एक दूसरे को अश्लील गालियां देने लगते हैं और इसी के साथ अपने रिश्तेदारों या दोस्तों को बुलवाकर जान से खत्म करवा देने की धमकियां भी देते हैं।
साधारण तौर पर हम इस प्रकार की घटनाओं को दरगुजर कर देते हैं और आरोपियों को किसी प्रकार की कोई सजा नहीं होती है। हालांकि भारतीय कानून में जान से मारने की धमकी देना और अश्लील गालियां देना दोनों ही दंडनीय अपराध है और इन पर संगीन मुकदमा दर्ज होता है। अर्थात ऐसे अपराधों पर सीधे पुलिस थाने से सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज होती है, जिसे आम बोलचाल में पक्की रिपोर्ट कहा जाता है।
गाली गलौज करना
एक दूसरे को अश्लील गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दंडनीय अपराध है। धारा 294 राजीनामे के योग्य धारा भी नहीं है, अर्थात इस धारा में दोनों पक्ष का राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है अपितु समस्त समाज को तकलीफ होती है। इसलिए इस धारा में राजीनामा भी नहीं किया जा सकता।
संहिता की इस धारा के तहत आरोपियों को 3 महीने तक की सजा हो सकती है। हालांकि साधारण तौर पर इस अपराध में आरोपियों को किसी प्रकार का जेल का दंड नहीं दिया जाता है बल्कि जुर्माना भरवाया जाता है लेकिन यह मुकदमा कई वर्षों तक चलता है और इतने ही वर्षों तक आरोपियों को अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है।
बकायदा जमानत भी लेना होती है। एक संक्षिप्त मुकदमे की प्रक्रिया से यह मुकदमा चलता है। भारतीय दंड संहिता में इस धारा को गाली गलौज के तौर पर उल्लेखित नहीं किया गया है, अपितु अश्लील शब्द या अश्लील गाने से उल्लेखित किया गया है। आमतौर पर जब लोगों के बीच किसी व्यवहार को लेकर कोई विवाद होता है तब एक दूसरे को अश्लील शब्दों में गालियां भी दी जाती है।
जान से मारने की धमकी देना
छोटे-मोटे विवादों में जान से मारने की धमकी देना एक आम बात हो चली है। हालांकि ऐसी धमकियां देना भी कानून की निगाह में एक संगीन जुर्म है। लोगों ने संगीन जुर्म को कोई छोटी मोटी बात समझ लिया है। इसलिए आए दिन कोई भी किसी को जान से मारने की धमकियां दे देता है। आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि ऐसी धमकियां लोग सरेराह चौक चौराहों पर एक दूसरे को दिया करते हैं।
किसी परिवार में लोगों के बीच कोई विवाद हो जाते हैं और विवाद होने के बाद एक दूसरे को जान से मारने की धमकी दे देते हो। जैसे कि किसी व्यक्ति को यह कहना कि तुझे काट डालूंगा या खत्म कर दूंगा। इस प्रकार के शब्द कहना जान से मारने की धमकी देने की कोटि में आता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 506 जान से मारने की धमकी देने से संबंधित है। जान से मारने की धमकी देना एक साधारण अपराध समझा जाता है लेकिन यह साधारण अपराध नहीं है। भारतीय दंड संहिता की धारा 506 स्पष्ट रूप से यह कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है या फिर आग से किसी संपत्ति को नष्ट करने की दी जा रही है या फिर कोई धमकी ऐसी दी जा रही है जिस अपराध के लिए 7 वर्ष तक की सजा है तब आरोपियों को 7 वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
ऐसी जान से मारने की धमकी देने पर 7 वर्ष तक के कठोर कारावास से व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को जान से मारने की धमकी दी जा रही है या फिर उसके साथ गाली गलौज किया जा रहा है तब फौरन संबंधित थाना क्षेत्र पर जाकर इस बात की सूचना थाने के भार साधक अधिकारी को दे सकता है। थाने का भार साधक अधिकारी ऐसी सूचना को लेने के बाद तत्काल आरोपियों पर पक्की रिपोर्ट दर्ज करेगा। उन पर मुकदमा बनाकर उन्हें संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजा जाएगा। जहां इस मुकदमे पर विचारण चलाया जाता है।
हालांकि यह धारा जमानतीय धारा है तथा इसमें सरलता से आरोपियों को जमानत मिल जाती है, लेकिन इसका विचारण एक सामान्य अपराध की तरह ही चलता है।