केरल हाईकोर्ट ने पूर्व CPI (M) नेता की हत्या की सजा में बदलाव किया, जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी
केरल हाईकोर्ट ने पूर्व CPI (M) स्थानीय नेता और चेरथला नगर स्थायी समिति के अध्यक्ष आर. बैजू को दी गई मृत्युदंड की सजा रद्द कर दी, जिन्हें अलप्पुझा के अतिरिक्त सेशन जज ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य दिवाकरन की हत्या के लिए दोषी ठहराया।
जस्टिस पी.बी. सुरेश कुमार और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने पाया कि उनके खिलाफ हत्या का आरोप साबित नहीं हुआ। उन्हें केवल गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया जा सकता है।
यह घटना तब हुई, जब दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया, जब आर. बैजू के नेतृत्व में समूह दिवाकरण के घर कॉयर मैट बेचने आया। यह बिक्री सरकारी योजना के तहत की गईं। उस समय नगर पालिका और राज्य में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सत्ता में था। दिवाकरण ने कहा कि उसे मैट नहीं चाहिए, जिसके कारण विवाद हुआ। बैजू ने उसके सामने मैट फेंक कर भाग गया। मृतक के बेटे ने वार्ड काउंसिल की बैठक में इस बिक्री के बारे में सवाल किया, जिस पर बीजू ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कहा गया कि उसी दिन रात में कुछ लोग दिवाकरण के घर आए और उस पर उसके बेटे और बहू पर लकड़ी के लट्ठों से हमला किया और उनके घर में तोड़फोड़ की।
दिवाकरण के सिर में चोट लगने से उसकी मौत हो गई। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी का इरादा हत्या करने का था। अदालत ने कहा कि हमलावरों ने मृतक के बेटे को घर के बाहर बुलाया, उसका पीछा किया, उस पर हमला किया और जब मृतक और उसकी बहू उनके बीच आए तभी उन पर हमला किया गया।
यह निष्कर्ष निकाला गया कि चूंकि आरोपी अपने साथ कोई घातक हथियार नहीं ले गए, इसलिए उनका इरादा मृतक के बेटे को गंभीर चोट पहुंचाना था न कि किसी की हत्या करना।
हमलावरों के पास कोई घातक हथियार नहीं था। उन्होंने मृतक की संपत्ति से लकड़ी के लट्ठों से कथित कृत्य किए। इसलिए हमें यह मानने के लिए कोई संतोषजनक सामग्री नहीं मिली कि आरोपी 1 से 4 और 6 का उद्देश्य मृतक की हत्या करना था। यदि साजिश का उद्देश्य मृतक की हत्या करना था तो हमारा मानना है कि हमलावर निश्चित रूप से अपने साथ कोई हथियार लेकर आए होंगे।
अदालत ने यह भी माना कि भले ही आर. बैजू साजिश का हिस्सा था लेकिन यह साबित नहीं किया जा सका कि वह घटना स्थल पर मौजूद था। हालांकि, साजिश का हिस्सा होने के कारण बैजू को भी जिम्मेदार ठहराया गया।
न्यायालय ने कहा कि भले ही उनका किसी की हत्या करने का कोई इरादा न रहा हो, लेकिन यह माना जाना चाहिए कि उन्हें पता था कि इस कृत्य से मृत्यु होने की संभावना है। इसलिए हाईकोर्ट ने उन्हें गैर इरादतन हत्या के लिए उत्तरदायी ठहराया।
उन्हें जुर्माने के साथ 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
केस टाइटल- राज्य बनाम आर. बैजू