बार काउंसिल नामांकन आवेदकों के सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए फीस नहीं ले सकती : केरल हाईकोर्ट

Update: 2025-01-02 05:05 GMT

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि केरल बार काउंसिल यूनिवर्सिटी और परीक्षा बोर्डों से अपने सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए आवेदकों से पैसे नहीं ले सकती।

न्यायालय ने यह भी कहा कि 28 जनवरी, 2017 को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा जारी निर्देश, जिसमें बार काउंसिल को सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए उम्मीदवारों से 2,500 रुपये फीस लेने का निर्देश दिया गया था, लागू नहीं किया जा सकता।

जस्टिस जियाद रहमान ए. ए. और जस्टिस पी. वी. बालकृष्णन की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में यूनिवर्सिटी और परीक्षा बोर्डों को बिना कोई फीस लिए सर्टिफिकेट का सत्यापन करने का निर्देश दिया। इस फैसले के अनुसार, सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए अनुरोध संबंधित राज्य बार काउंसिल द्वारा किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य निर्णय पर भी विचार किया, जिसके अनुसार बार काउंसिल नामांकन के समय एडवोकेट एक्ट की धारा 24 (1) (एफ) में निर्धारित नामांकन फीस से अधिक फीस नहीं ले सकती।

एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 24 (1) (एफ) के तहत सामान्य श्रेणी के वकीलों के लिए राज्य बार काउंसिल को देय एंरोलमेंट फीस 600 रुपये और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 150 रुपये निर्धारित किया गया। एससी/एसटी श्रेणी के वकीलों के लिए यह राशि क्रमशः 100 रुपये और 25 रुपये है।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें उसे केरल बार काउंसिल द्वारा आयोजित किए जाने वाले अगले नामांकन में इस शर्त के साथ नामांकित होने की अनुमति दी गई कि याचिकाकर्ता संबंधित अधिकारियों और यूनिवर्सिटी द्वारा अपने SSLC, प्लस टू, डिग्री और LL.B सर्टिफिकेट को सत्यापित कराने के लिए भुगतान की गई फीस की रसीद प्रस्तुत करेगा। याचिकाकर्ता ने इस शर्त को यह कहते हुए चुनौती दी कि यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विरुद्ध है।

केरल बार काउंसिल ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने नोटिस जारी किया, जिसमें राज्य बार काउंसिल को एनरोलमेंट फीस के संग्रह के समय आवेदक के सर्टिफिकेट के सत्यापन के लिए 2500 रुपये की राशि लेने के लिए कहा गया था।

हालांकि, हाईकोर्ट ने माना कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में BCI के नोटिस को लागू नहीं किया जा सकता।

न्यायालय ने केरल बार काउंसिल को बिना कोई फीस लिए याचिकाकर्ता के प्रमाण पत्र का सत्यापन करने का निर्देश दिया।

"माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक्सटेंशन पी8 के आदेश के आलोक में यूनिवर्सिटी और परीक्षा बोर्डों की ओर से सत्यापन के उद्देश्य से कोई फीस लिए बिना शैक्षिक सर्टिफिकेट की वास्तविकता को सत्यापित करने का दायित्व है। टिप्पणियों से यह भी स्पष्ट है कि सत्यापन के लिए अनुरोध केवल बार काउंसिल द्वारा प्रस्तुत किए जाने हैं। इसलिए बार काउंसिल पर आवेदक के सर्टिफिकेट को संबंधित बोर्डों और यूनिवर्सिटी द्वारा बिना किसी फीस के सत्यापित करवाने का कर्तव्य है। इसलिए अनुलग्नक आर1(ए), सत्यापन के लिए 2,500/- रुपये के फीस के संग्रह को निर्धारित करने की सीमा तक, लागू नहीं किया जा सकता है।"

राज्य बार काउंसिल द्वारा न्यायालय को सूचित किया गया कि अगली नामांकन तिथि जो 5 जनवरी थी, से पहले आवेदक के सर्टिफिकेट को सत्यापित करना संभव नहीं हो सकता है। न्यायालय ने बार काउंसिल को याचिकाकर्ता के नामांकन की अनुमति देने का निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता के सर्टिफिकेट के सत्यापन के दौरान कोई मुद्दा उठता है तो परिषद बाद में उचित कार्रवाई कर सकती है।

केस टाइटल: एलन बेनी बनाम बार काउंसिल ऑफ केरल और अन्य

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