मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए मुफ्त बस सर्विस नहीं दी जा सकती: कर्नाटक हाइकोर्ट
कर्नाटक हाइकोर्ट ने गुरुवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मतदाताओं को मतदान करने में सक्षम बनाने के लिए मतदान तिथियों पर परिवहन के लिए मुफ्त बस सर्विसे देने के निर्देश देने की मांग करते हुए दायर जनहित याचिका का निपटारा किया।
जस्टिस आर देवदास और जस्टिस जे एम खाजी की अवकाश खंडपीठ ने कहा,
“यदि राज्य सरकार या सार्वजनिक परिवहन विभाग के प्रमुख द्वारा ऐसे निर्देश जारी किए जाते हैं तो यह क़ानून में निहित स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन होगा। साथ ही सरकार चलाने वाले राजनीतिक दल के खिलाफ भी आरोप लगाया जा सकता है कि ऐसे निर्देश स्पष्ट प्रावधानों के विपरीत होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त को राज्य सरकार या सार्वजनिक परिवहन निगम के प्रमुखों को ऐसे निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है।”
याचिकाकर्ता सैयद खलील उल्ला हुसैनी ने उत्तर पूर्व स्नातक निर्वाचन क्षेत्र 2024 में विधान परिषद सदस्य के पद के लिए चुनाव के लिए निर्धारित मतदान केंद्रों की नंबर 160 से बढ़ाकर 250 करने का निर्देश देने की भी मांग की थी।
खंडपीठ ने मुख्य चुनाव आयोग द्वारा दायर आपत्तियों के बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि मतदान की तिथि पर मुफ्त बसों को चलाने की अनुमति देने वाली पहली प्रार्थना के संबंध में चुनाव आयोग ऐसी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of Peoples Act) की धारा 123 (5) का हवाला देते हुए यह प्रस्तुत किया गया कि न तो उम्मीदवार और न ही राज्य सरकार या सार्वजनिक परिवहन निगम ऐसे प्रावधान कर सकते हैं, क्योंकि यह स्पष्ट प्रावधानों के विपरीत होगा।
जहां तक मतदान केंद्रों को बढ़ाने के संबंध में दूसरी प्रार्थना का सवाल है तो कहा गया कि मतदान केंद्रों की नंबर जो पहले 160 निर्धारित की गई, उसे मतदाताओं की संख्या और संबंधित उपायुक्तों से प्राप्त जानकारी को ध्यान में रखते हुए बढ़ाकर 195 कर दिया गया।
इसके बाद न्यायालय ने कहा,
"इस न्यायालय का यह सुविचारित मत है कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए अभ्यावेदन के संबंध में की गई दो प्रार्थनाओं का उत्तर प्रतिवादी द्वारा आपत्तियों के कथन में दिया गया। वास्तव में क्षेत्रीय आयुक्त (कलबुर्गी उपखंड) द्वारा दिनांक 19-03-2024 को समर्थन जारी किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा की गई प्रार्थना और आसन्न चुनावों के प्रयोजनों के लिए मुख्य चुनाव आयोग द्वारा की गई व्यवस्थाओं को उनके संज्ञान में लाया गया। यह भी कहा गया कि मुख्य चुनाव अधिकारी या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा निःशुल्क बसें चलाने की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह अधिनियम के स्पष्ट प्रावधानों का उल्लंघन होगा। मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाने के बारे में भी याचिकाकर्ता को जानकारी दी गई।"
तदनुसार इसने याचिका का निपटारा किया।
केस टाइटल- सईस खलील उल्ला हुसैनी और भारत के मुख्य चुनाव आयोग और अन्य