कर्नाटक हाईकोर्ट ने बलात्कार मामले में प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2025-04-07 10:03 GMT
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बलात्कार मामले में प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार (7 अप्रैल) को जनता दल (सेक्युलर) नेता और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर जमानत याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। यह याचिका हसन जिले के होलेनरसिपुरा ग्रामीण पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज पहले कथित बलात्कार मामले के संबंध में दायर की गई।

जस्टिस प्रदीप सिंह येरूर ने राज्य को नोटिस जारी किया और उसे सुनवाई की अगली तारीख 15 अप्रैल तक अपनी आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रभुलिंग के नवदगी ने याचिकाकर्ता की जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि मामले में सह-आरोपी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत की समन्वय पीठ ने मुकदमे पर रोक लगाई।

गुण-दोष के आधार पर उन्होंने तर्क दिया,

"मैं प्रथम दृष्टया दिखाऊंगा कि साढ़े चार साल बाद शिकायत दर्ज की गई। इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि इतनी देरी के बाद शिकायत क्यों दर्ज की गई।"

इसके अलावा उन्होंने आग्रह किया,

"मैं अपने नियंत्रण से परे कारणों से सलाखों के पीछे नहीं रह सकता यह विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। एक भी परिस्थिति, जो बाद के निर्णय को बदल देती है, पूरे मामले पर फिर से विचार करने की मांग करती है।"

अतिरिक्त विशेष लोक अभियोजक बी एन जगदीश ने दलील का विरोध करते हुए कहा,

"सुप्रीम कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी और वर्तमान जमानत याचिका में कोई भी बदली हुई परिस्थिति नहीं दिखाई गई, जिस पर विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा याचिकाकर्ता मामले में मुख्य आरोपी है। अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया।"

इसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से कहा,

"तथ्य यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी। भले ही किसी अन्य आरोपी के कहने पर रोक हो, अगर आपके खिलाफ ठोस सामग्री है। आपने कुछ ऐसा असाधारण पेश किया, जिस पर पहले के न्यायाधीश ने विचार नहीं किया, तो जमानत दी जा सकती है।"

अदालत ने बताया कि समय की कमी के कारण वह मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को तय की गई। साथ ही अभियोजन पक्ष को याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए गुण-दोष के बिंदु पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।

हाल ही में एडिशनल सिटी सिविल और सेशन जज संतोष गजानन भट ने रेवन्ना के खिलाफ धारा 376(2)(के) (प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा बलात्कार), 376(2)(एन) (बार-बार बलात्कार), 354(ए) (यौन उत्पीड़न), 354(बी) (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या बल का प्रयोग), 354(सी) (चुपके से देखना), 506 (आपराधिक धमकी), और 201 (साक्ष्यों को गायब करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66(ई) के तहत आरोप तय किए।

अभियोजन पक्ष के अनुसार पीड़िता रेवन्ना परिवार के स्वामित्व वाले फार्महाउस में नौकरानी के रूप में काम करती थी। दावा किया जाता है कि 2021 से COVID-19 लॉकडाउन के दौरान रेवन्ना ने बार-बार उसके साथ बलात्कार किया और विभिन्न स्थानों पर हमलों को फिल्माया। इसके अलावा यह आरोप लगाया गया है कि रेवन्ना ने वीडियो का इस्तेमाल उसे डराने और चुप कराने के लिए किया जिससे वह शिकायत करने से बच गई।

SIT प्रज्वल के खिलाफ दर्ज तीन मामलों की जांच कर रही है, जो वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। SIT ने पिछले साल 30 मई को जर्मनी से आने पर प्रज्वल को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया। उसे होलेनरसिपुरा टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराध संख्या 107/2024 में गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले अक्टूबर, 2024 में हाईकोर्ट ने रेवन्ना द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था और अगले महीने नवंबर, 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके द्वारा दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।

केस टाइटल: प्रज्वल रेवन्ना और कर्नाटक राज्य

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