कर्नाटक हाईकोर्ट ने BJP सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ किसान की आत्महत्या के बारे में फर्जी खबर फैलाने के आरोप में मामला खारिज किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार (12 दिसंबर) को हावेरी जिले में एक किसान की आत्महत्या के बारे में फर्जी खबर फैलाने के आरोप में BJP सांसद तेजस्वी सूर्या के खिलाफ दर्ज मामला खारिज किया।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने आदेश सुनाते हुए कहा,
"अनुमति दी गई। रद्द किया गया"।
न्यायालय ने पक्षों की सुनवाई के बाद 5 दिसंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान सूर्या की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट ने कहा कि आरोप यह है कि उन्होंने कुछ खास खबरों के आधार पर कुछ ट्वीट किए।
उन्होंने कहा,
"अगर इसे सच भी मान लिया जाए तो भी धारा 353 (BNS) का कोई तत्व नहीं बनता। वास्तव में उन्होंने ट्वीट हटा दिया। इस याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं चलेगी।"
उन्होंने आगे कहा कि अगले दिन मृतक के पिता ने भी मीडिया को एक इंटरव्यू दिया था। हालांकि राज्य की ओर से पेश वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि ट्वीट से ऐसा लगता है कि मौजूदा सरकार ने यह सब किया है।
इस स्तर पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि यह बहुत दुखद (स्थिति) है...एक जान चली गई। एक किसान का बेटा कर्ज या किसी और कारण से आत्महत्या कर लेता है। आप सभी इस पर राजनीति कर रहे हैं।
14 नवंबर को हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर सूर्या के खिलाफ दर्ज मामले में जांच पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद अदालत ने सूर्या द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें FIR रद्द करने की मांग की गई।
अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर विचार किया कि पुलिस द्वारा आत्महत्या के संबंध में स्पष्टीकरण जारी करने और मृतक के पिता द्वारा मीडिया को दिए गए इंटरव्यू के बाद कथित ट्वीट को हटा दिया गया।
7 नवंबर को सूर्या ने कन्नड़ समाचार पोर्टल से एक लेख साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि एक किसान, रुद्रप्पा चन्नप्पा बालिकाई ने अपनी जमीन पर वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जा किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
बाद में यह पता चलने के बाद कि दावे निराधार थे, पोस्ट को हटा दिया गया। हावेरी जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने स्पष्ट किया कि रुद्रप्पा चन्नप्पा बालिका की आत्महत्या 6 जनवरी, 2022 को हुई थी, लेकिन इसका वक्फ बोर्ड भूमि विवाद से कोई संबंध नहीं था, बल्कि फसल नुकसान और बकाया लोन के कारण वित्तीय दबाव के कारण ऐसा हुआ था।
इसके बाद पुलिस ने 7 नवंबर को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत विभिन्न समूहों के बीच घृणा, दुर्भावना या दुश्मनी को बढ़ावा देने के इरादे से बयान प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए स्वत: संज्ञान मामला दर्ज किया।
केस टाइटल: एल एस तेजस्वी सूर्या और कर्नाटक राज्य