RSS रूट मार्च पर कर्नाटक सरकार का रुख सकारात्मक, हाईकोर्ट को दी जानकारी

Update: 2025-11-07 11:41 GMT

कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार (7 नवंबर) को हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कलबुर्गी के संयोजक द्वारा चित्तापुर शहर में प्रस्तावित पथसंचलन आयोजित करने के प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेगी।

यह जानकारी राज्य के एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी ने जस्टिस एम.जी.एस. कमल की अदालत में दी। उन्होंने कहा कि 5 नवंबर को आयोजित बैठक में RSS संयोजक अशोक पाटिल सहित सभी पक्षों ने भाग लिया और चर्चा रचनात्मक रही।

30 अक्टूबर को अदालत ने RSS कलबुर्गी के संयोजक अशोक पाटिल को निर्देश दिया था कि वह 5 नवंबर को एडवोकेट कार्यालय में जिला अधिकारियों से मिलें और प्रस्तावित रूट मार्च के आयोजन के संबंध में चर्चा करें। अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अरुणा श्याम तथा एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी को भी बैठक का हिस्सा बनने और प्रक्रिया को मार्गदर्शन देने के लिए कहा था।

सीनियर एडवोकेट अरुणा श्याम ने अदालत को बताया कि बैठक बहुत अच्छी रही और सभी पक्षों ने सकारात्मक माहौल में विचार-विमर्श किया।

उन्होंने कहा,

“एडवोकेट जनरल के नेतृत्व में बैठक बहुत अच्छी रही। हमने अपना प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया और अब राज्य सरकार को उसके परिणाम पर निर्णय लेना है।”

एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि रूट मार्च आयोजित करने के लिए कुल 11 आवेदन प्राप्त हुए हैं। सरकार सभी आवेदनों पर एकमुश्त विचार करेगी।

उन्होंने कहा,

“हमें एक सप्ताह का समय दीजिए। हम सभी आवेदनों पर कुछ शर्तों के साथ अनुमति प्रदान करेंगे, इसे मिसाल के रूप में नहीं देखा जाएगा।”

अदालत ने आदेश में दर्ज किया,

“एडवोकेट जनरल और याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट की दलीलें सुनी गईं। यह बताया गया कि 5 नवंबर को आयोजित बैठक सकारात्मक और फलदायी रही। याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तावित 13 और 16 नवंबर की तिथियों पर राज्य सरकार सकारात्मक रूप से विचार कर रही है और शीघ्र ही अपना निर्णय सूचित करेगी।”

मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।

यह बैठक अदालत के निर्देश पर हुई दूसरी बैठक थी। इससे पहले 24 अक्टूबर को अदालत ने राज्य अधिकारियों को 28 अक्टूबर को आयोजकों के साथ शांति समिति की बैठक करने का निर्देश दिया, क्योंकि प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार चित्तापुर में कुछ तनावपूर्ण माहौल की स्थिति बनी हुई, जहां पथसंचलन आयोजित किया जाना प्रस्तावित है।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को अनुमति प्रदान करते समय कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक शांति के पहलुओं को प्राथमिकता देनी होगी, जबकि नागरिकों के शांतिपूर्ण आयोजन के अधिकार का भी सम्मान सुनिश्चित किया जाए।

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