कर्नाटक हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में अंतरिम रोक बढ़ाई
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में जारी अंतरिम रोक को आगे भी जारी रखने का आदेश दिया। इससे ट्रायल कोर्ट में इस मामले की कार्यवाही फिलहाल स्थगित रहेगी।
इससे पहले 17 जनवरी को हाईकोर्ट ने 42वें अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक लगाई थी।
जस्टिस एस. सुनील दत्त यादव की सिंगल बेंच ने गुरुवार को उस अंतरिम आदेश को जारी रखते हुए आगे की सुनवाई तक राहत को बरकरार रखा।
सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट शशि किरण शेट्टी ने दलील दी कि शिकायत में कहीं भी ऐसा ठोस सामग्री नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि कथित मानहानिकारक सामग्री के प्रकाशन के लिए राहुल गांधी जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि गांधी के खिलाफ अधिकतम यही आरोप है कि उन्होंने कथित पोस्ट को रीट्वीट किया, लेकिन शिकायत या शपथपत्र में इसका कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।
पीठ द्वारा आरोपों के स्वरूप के बारे में पूछे जाने पर शेट्टी ने कहा कि शिकायत में स्वीकार किया गया तथ्य यह है कि जिस सामग्री को लेकर विवाद है, वह शिकायतकर्ता भाजपा के विरुद्ध स्वयं राहुल गांधी ने प्रकाशित नहीं की थी, बल्कि इसे आरोपी नंबर-1 की ओर से जारी किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि वास्तविक विज्ञापन कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी किया गया, न कि राहुल गांधी द्वारा। इसके बावजूद शिकायत में उन व्यक्तियों या संस्थाओं को पक्षकार नहीं बनाया गया, जिन्होंने कथित रूप से वह विज्ञापन प्रकाशित किया।
उन्होंने दलील दी कि मानहानि के मामलों में जिन लोगों ने कथित रूप से सामग्री प्रकाशित की होती है, उन्हें ही आरोपी बनाया जाना चाहिए। वर्तमान प्रकरण में ऐसे किसी भी व्यक्ति को आरोपी नहीं बनाया गया, जिसके आधार पर पूरा मामला ही खारिज किए जाने योग्य है। साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायत में केवल “अस्पष्ट और खोखले आरोप” लगाए गए , यह भी नहीं बताया गया कि विज्ञापन जारी करने की अनुमति किसने दी और वह कब प्रकाशित किए गए।
शेट्टी ने यह भी अदालत के सामने यह तथ्य रखा कि कथित प्रकाशन के समय राहुल गांधी सांसद भी नहीं थे, जिससे उनके खिलाफ प्रत्यक्ष जिम्मेदारी तय करने का सवाल ही नहीं उठता।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वह 11 दिसंबर तक अपने-अपने पक्ष में संक्षेप (सिनोप्सिस) दाखिल करें और जिन कानूनी दलीलों तथा न्यायिक मिसालों पर भरोसा किया जा रहा है, उनका विवरण प्रस्तुत करें। अदालत ने यह भी कहा कि सिनोप्सिस में शिकायत, शपथपत्र और चिन्हित दस्तावेजों के आधार पर आरोपी की भूमिका को स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसके साथ ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 204 के तहत समन जारी करते समय न्यायालय द्वारा आवेदन-मन की कानूनी स्थिति पर भी बहस करने को कहा गया।
यह मामला कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी उस विवादित करप्शन रेट कार्ड विज्ञापन से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया कि तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में विभिन्न पदों और तबादलों के लिए तय रेट और कमीशन लिया जाता था। भाजपा ने इसे झूठा, दुर्भावनापूर्ण और कल्पनाजनित प्रचार बताते हुए मानहानिकारक करार दिया।
शिकायत में भाजपा ने डबल इंजन सरकार के बजाय ट्रबल इंजन सरकार जैसे शब्दों के प्रयोग पर भी आपत्ति जताई है और आरोप लगाया कि यह शब्दावली चुनाव से पहले पार्टी की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से इस्तेमाल की गई।
फिलहाल हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम रोक जारी रहने से राहुल गांधी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर विराम बना रहेगा और मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।