ऑनलाइन गेमिंग बिल चुनौती, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Update: 2025-08-30 07:14 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन एंड रेग्युलेशन) एक्ट 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि यह कानून अचानक हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी छीन लेगा और उद्योग को 'रातोंरात बंद' कर देगा।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बी.एम. श्याम प्रसाद ने केंद्र को नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत की मांग पर अपने बिंदु पेश करने की अनुमति दी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर वकील ने दलील दी कि यह अधिनियम राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बावजूद अभी अधिसूचित नहीं हुआ है।

वकील ने कहा,

"अगर यह उद्योग अचानक बंद हो गया तो गंभीर असर होगा। सरकार या तो अधिसूचना रोके या फिर कम से कम एक हफ्ते का नोटिस दे ताकि हम अदालत आ सकें।"

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से कहा कि एक बार संसद कानून पास कर देती है और राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिल जाती है तो अधिसूचना संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें अदालत दख़ल नहीं दे सकती।

हाईकोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई तक केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा है।

मामले की पृष्ठभूमि

याचिका में दावा किया गया कि नया कानून बिना किसी परामर्श और विचार-विमर्श के लाया गया और इससे ऑनलाइन स्किल गेमिंग सेक्टर पर सीधा असर पड़ेगा।

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक इससे न सिर्फ़ करोड़ों का निवेश डूबेगा बल्कि दो लाख से ज्यादा लोगों की आजीविका पर संकट आएगा।

याचिका में यह भी कहा गया कि खेल कौशल आधारित गेम्स को वैध व्यवसाय माना गया। यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत संरक्षित हैं। ऐसे में सरकार पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकती और उसका कदम मनमाना और असंवैधानिक है।

केस टाइटल: Head Digital Works Pvt. Ltd. & Anr बनाम Union of India

Tags:    

Similar News