कर्नाटक हाईकोर्ट ने लाइव स्ट्रीम से वीडियो शेयर करने पर रोक लगाई; Facebook, Youtube, X को वीडियो हटाने का आदेश दिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मीडिया एजेंसियों और अन्य व्यक्तियों को अदालती कार्यवाही के लाइव स्ट्रीम से वीडियो को अनधिकृत रूप से साझा करने से रोक दिया।
जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,
"अगली तारीख तक प्रतिवादी R6 से R8 [यूट्यूब, फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर)] को लाइव स्ट्रीम किए गए वीडियो साझा करने से रोका जाता है। R9 से R13 [कुछ मीडिया एजेंसियों] को अपने चैनलों पर वीडियो प्रदर्शित करने से रोका जाता है। उन्हें (R6 से R8) नियमों का उल्लंघन करते हुए पोस्ट किए गए चैनलों पर लाइव स्ट्रीम किए गए वीडियो को हटाने का निर्देश दिया जाता है।"
यह आदेश एडवोकेट संघ बेंगलुरु द्वारा दायर एक याचिका में पारित किया गया, जिसमें केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई कि वह व्यक्तियों, वीडियो-निर्माताओं, मीडिया एजेंसियों आदि को लाइव स्ट्रीम किए गए वीडियो की अदालती कार्यवाही का अवैध रूप से उपयोग करने से रोकने के लिए उपयुक्त आदेश पारित करे।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने बताया कि ऐसे वीडियो को प्रतिबंधित करने वाला नियम पहले से ही लागू है। हाईकोर्ट रजिस्ट्री ने पीठ को वीडियो का उपयोग न करने के लिए अस्वीकरण प्रदर्शित करने के बारे में भी सूचित किया।
यह याचिका हाईकोर्ट के जस्टिस वी श्रीशानंद के दो वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर सामने आने के तुरंत बाद दायर की गई, जिसमें वे आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए देखे गए। एक वीडियो में वह बैंगलोर के एक क्षेत्र को पाकिस्तान कहते हुए देखे गए। दूसरे वीडियो में वह महिला एडवोकेट पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए नज़र आए।
इस पर ध्यान देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से प्रशासनिक निर्देश प्राप्त करने के बाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। इस मामले की सुनवाई कल (25 सितंबर) को होनी है।
यह दावा किया गया कि वीडियो निर्माताओं और लाइव प्रसारण का दुरुपयोग करने वाले बदमाशों का कृत्य कानून की नज़र में अत्यधिक मनमाना, अवैध, विकृत और अस्थिर है।
याचिका में यह भी कहा गया कि वैवाहिक मामलों की ट्रोलिंग और लाइव स्ट्रीमिंग भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। इसलिए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।