कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़े मुडा मामले में लोकायुक्त की जांच जारी रखी, आज तक की गई जांच का रिकॉर्ड मांगा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार (15 जनवरी) को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़े कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में लोकायुक्त की जांच जारी रखी। साथ ही निर्देश दिया कि जांच की निगरानी लोकायुक्त के पुलिस महानिरीक्षक करेंगे।
अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक प्राधिकरण को आज तक की गई जांच का ब्योरा रिकॉर्ड में दर्ज करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने यह बात मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़े कथित मुडा घोटाले की जांच को CBI को सौंपने के निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। यह जांच वर्तमान में लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही है।
यह घटनाक्रम पिछले साल दिसंबर में हाईकोर्ट द्वारा मुडा घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी तथा साले सहित उनके परिवार के खिलाफ लोकायुक्त की रिपोर्ट दाखिल करने को स्थगित करने के बाद हुआ है।
कुछ देर तक मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने आदेश सुनाते हुए कहा,
"सबकी बात सुनी गई। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने अतिरिक्त हलफनामे का हवाला दिया। सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा कि अभी दलीलें पूरी नहीं हुई हैं। इसलिए दायर आपत्तियों का पक्षकारों के बीच आदान-प्रदान किया जाए। लोकायुक्त आज तक की गई जांच का ब्यौरा रिकॉर्ड में दर्ज करें। लोकायुक्त द्वारा की जा रही जांच जारी रहेगी। जांच की निगरानी लोकायुक्त के पुलिस महानिरीक्षक करेंगे। अगली तारीख को अगर कोई रिपोर्ट दाखिल की जाती है तो उसका अवलोकन लोकायुक्त करेंगे। अगली सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले रिपोर्ट दाखिल की जाए। अगली तारीख तक दलीलें पूरी की जाएं।”
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि संदिग्ध या संभावित आरोपी को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। इस स्तर पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि दलीलें इस तक सीमित रहें कि जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है या नहीं।
इसके बाद सिंह ने कहा,
"जांच निष्पक्ष और स्वतंत्र होनी चाहिए तथा इससे विश्वास पैदा होना चाहिए। यदि उच्च पुलिस अधिकारी और राजनेता शामिल हैं तो अदालतों ने उचित विवेक का प्रयोग किया जाना चाहिए। नौकरशाहों की कुछ समितियों ने लोकायुक्त से मामले के रिकॉर्ड ले लिए हैं।"
इस पर अदालत ने मौखिक रूप से पूछा,
"कौन से अधिकारी? रिकॉर्ड आज शाम तक दाखिल किए जाने चाहिए।"
इस पर लोकायुक्त के वकील ने कहा कि वे कल तक रिकॉर्ड दाखिल कर देंगे और अदालत ने इसकी अनुमति दी।
इस बीच सिंह ने कहा,
"R10 (मुख्यमंत्री की पत्नी) ने जमीन सरेंडर करने की इच्छा जताई है। यदि किसी आम नागरिक को जमीन मिलनी है तो यह मुश्किल है। उसी दिन सरेंडर की पेशकश की जाती है, उसी दिन पूरी राज्य मशीनरी एक साथ आती है। उसी दिन इसे स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया जाता है। कृपया देखें कि रिकॉर्ड ले जाया गया या नहीं।"
इसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से पूछा कि रिकॉर्ड किसने ले लिया। इस स्तर पर मुख्यमंत्री की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा, "रिकॉर्ड अब अदालत के पास हैं।"
सिंह ने हालांकि कहा कि "यदि लोकायुक्त कार्यालय को जांच करनी है तो यह विश्वास नहीं जगाता कि आईएएस अधिकारी फाइलें ले जाएं।
इसके बाद अदालत ने पूछा,
"क्या यह इस विशेष आवंटन से संबंधित है यह MUDA के संपूर्ण कामकाज से संबंधित है।"
सिंह ने हालांकि कहा,
"मैं संपर्क में हूं। कोई जांच नहीं हुई है।"
इस पर अदालत ने कहा,
"अब वैसे भी उन्होंने अपनी आपत्तियां दर्ज कर ली हैं। आपत्तियों का आदान-प्रदान करें।"
इस स्तर पर कुमार ने कहा, "बिल्कुल अप्रासंगिक प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।
इस पर सीएम की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, इन दलीलों का उद्देश्य क्या है।
दलीलों के बाद अदालत ने लोकायुक्त को जांच जारी रखने का निर्देश दिया और सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
कुमार ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित समय सीमा 28 जनवरी है।
इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि वह कागजात का अवलोकन करेगा और फिर मुद्दे पर निर्णय लेगा तथा मामले को 27 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
केस टाइटल: स्नेहमयी कृष्णा और भारत संघ एवं अन्य