कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: प्राइवेट अनएडेड स्कूल द्वारा किसी स्टूडेंट को एडमिशन न देना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं
कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी प्राइवेट अनएडेड स्कूल द्वारा किसी स्टूडेंट को एडमिशन न देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन नहीं है।
जस्टिस सूरज गोविंदराज की बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए मुजम्मिल काज़ी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने नाबालिग बेटे को सेंट पॉल्स हाई स्कूल के एलकेजी में दाखिला दिलाने के लिए निर्देश मांगे थे।
अदालत ने कहा कि एलकेजी में दाखिले से इनकार होने पर भी स्टूडेंट के पास कई अन्य स्कूलों में आवेदन करने और एडमिशन पाने का विकल्प मौजूद है। मामले में स्कूल ने तर्क दिया कि सभी 150 सीटें भर चुकी हैं और तकनीकी गलती से 61 अतिरिक्त छात्रों को गलती से चयन सूचना भेज दी गई थी।
अदालत ने माना कि याचिका में न तो किसी भेदभाव का आरोप है और न ही अनुच्छेद 14, 19 या 21 के किसी स्पष्ट उल्लंघन का।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी प्राइवेट अनएडेड स्कूल की कार्रवाई नागरिक के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करती है तो उसके खिलाफ अनुच्छेद 226 के तहत रिट दायर की जा सकती है। लेकिन इस मामले में ऐसा कोई उल्लंघन साबित नहीं हुआ, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।