कर्नाटक हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी पर FIR रद्द करने की BJP विधायक की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
BJP विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की अपनी याचिका पर बहस करते हुए गुरुवार (28 नवंबर) को कर्नाटक हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के विदेश जाने पर उनके द्वारा दिए गए कुछ बयानों पर प्रतिक्रिया दी थी।
BJP विधायक ने अदालत को बताया कि FIR में उनके खिलाफ दर्ज कथित अपराधों के कोई तत्व नहीं बनते हैं। अगर कांग्रेस नेता इतने दुखी हैं तो वह मानहानि की शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जिसका बचाव BJP नेता ने कहा कि वह करेंगे।
पक्षों की सुनवाई के बाद जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने फैसला सुरक्षित रख लिया। आदेश की घोषणा तक जांच और अपराध में आगे की सभी कार्यवाही पर रोक के अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वेंकटेश दलवई ने तर्क दिया कि गांधी ने विदेश में कुछ बयान दिए।
मैंने उनके व्यवहार पर सवाल उठाया। FIR में अपराध के कोई तत्व नहीं पाए गए। पाटिल पर BNS की धारा 192, 196, 353 (2) के तहत आरोप लगाए गए।
उन्होंने आगे तर्क दिया कि यह सज्जन (राहुल गांधी) विदेश जाते हैं। बयान देते हैं, वह विदेशों में अशांति पैदा करते हैं। उनकी मां इतालवी नागरिक हैं। क्या वे इस पर विवाद कर रहे हैं? क्या मैंने उसके चरित्र या आचरण के बारे में कुछ कहा, कुछ नहीं तो धार्मिक भावनाओं को भड़काने का सवाल ही कहां उठता है।
अंत में उन्होंने कहा कि वह एक राजनेता है जो बाहर जाकर भारत के खिलाफ बेतुकी बातें करता है मैं क्यों न जवाब दूं। अगर वह इतना दुखी है तो उसे मानहानि की शिकायत दर्ज करनी चाहिए मैं उसका बचाव करूंगा।
शिकायतकर्ता मनोहर एस के वकील संकेत येनागी ने कहा कि यह एक स्पष्ट मामला है, जिसमें जांच की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह बयान किसी आम नागरिक द्वारा नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता का बयान एक महिला की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है।
पक्षों की सुनवाई के बाद पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
केस टाइटल: बसंगौड़ा पाटिल (यतनाल) और कर्नाटक राज्य