Live Wire Accident: झारखंड हाईकोर्ट ने बाद के सरकारी अधिसूचनाओं के आधार पर मुआवज़ा बढ़ाने से इनकार किया

Update: 2024-09-06 06:48 GMT

झारखंड हाईकोर्ट ने अप्रैल 2018 में लाइव वायर गिरने से हुई दुर्घटना के कारण 60% दृष्टि खोने का दावा करने वाले व्यक्ति को अतिरिक्त मुआवज़ा देने से इनकार किया। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह दुर्घटना झारखंड राज्य विद्युत विनियामक आयोग (JSERC) द्वारा 21 दिसंबर 2018 को जारी किए गए राजपत्र अधिसूचना से पहले हुई थी, जिससे अतिरिक्त मुआवज़े का दावा अमान्य हो गया।

हालांकि अदालत ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) से कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत याचिकाकर्ता को मदद देने पर विचार करने का आग्रह किया।

जस्टिस अनुभा रावत चौधरी ने कहा,

"इस न्यायालय का मानना ​​है कि याचिकाकर्ता को गंभीर चोट लगी है, इसलिए प्रतिवादी JBVNL की भी जिम्मेदारी है कि वह कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत याचिकाकर्ता की हर संभव देखभाल करे और मदद करे, जिससे याचिकाकर्ता की पीड़ा कुछ हद तक कम हो सके। इस उद्देश्य के लिए प्रतिवादियों ने खुद कहा कि अगर कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत कुछ भी संभव है तो याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार ही मदद दी जाएगी।"

जस्टिस चौधरी ने कहा,

"इसके अनुसार याचिकाकर्ता प्रतिनिधित्व दायर करके प्रतिवादी नंबर 3 से संपर्क कर सकता है। अगर कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत कानून के मापदंडों के भीतर कुछ भी संभव है तो प्रतिवादी संख्या 3 आवश्यक कार्रवाई शीघ्रता से करेगा ताकि याचिकाकर्ता की पीड़ा कम हो सके।"

याचिकाकर्ता - लालटू परीरा के वकील ने तर्क दिया कि 30,000 रुपये का मुआवजा की राशि अपर्याप्त थी और दिसंबर 2018 में जारी राजपत्र अधिसूचना के प्रावधानों का उल्लंघन करती थी।

प्रतिवादियों ने अपने बचाव में तर्क दिया कि नुकसान का आकलन उस समय लागू परिपत्रों के आधार पर किया गया। याचिकाकर्ता द्वारा जिस अधिसूचना पर भरोसा किया गया, वह दुर्घटना की तारीख के बाद प्रभावी हुई थी। प्रतिवादियों ने आगे बताया कि मूल्यांकन आदेश से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को 40% दृश्य दिव्यांगता का सामना करना पड़ा था। संबंधित सर्कुलर के अनुसार नुकसान का आकलन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता को 30,000 रुपये का अवार्ड दिया गया।

संबंधित वकील को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि दुर्घटना 12 अप्रैल, 2018 को हुई थी। 21 दिसंबर,2018 की राजपत्र अधिसूचना के आधार पर याचिकाकर्ता द्वारा मुआवजे का दावा स्वीकार्य नहीं।

न्यायालय ने अधिसूचना के खंड ए2(2.2) का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया,

“यह विनियमन झारखंड सरकार के आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से लागू हुआ, जो 21 दिसंबर, 2018 को प्रकाशित हुआ था।”

केस टाइटल- लालटू परीरा बनाम झारखंड राज्य और अन्य

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