मात्र अनुबंध का उल्लंघन IPC की धारा 405 के तहत सौंपने के बिना आपराधिक विश्वासघात नहीं माना जाता: झारखंड हाईकोर्ट

Update: 2024-08-02 07:54 GMT

झारखंड हाईकोर्ट ने माना कि मात्र अनुबंध का उल्लंघन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 405 के तहत 'सौंपने' के बिना अपराध नहीं माना जाता। यह प्रावधान आपराधिक विश्वासघात को दंडित करता है।

जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा,

“आपराधिक विश्वासघात के अपराध को धारा 405 आईपीसी के तहत परिभाषित किया गया और यह धारा 406 आईपीसी के तहत दंडनीय है। आपराधिक विश्वासघात के अपराध को लाने के लिए विश्वासघात होना चाहिए।”

इस मामले में शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता-आरोपी की कंपनी के साथ समझौता किया। आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता लगभग 28 लाख रुपये के बकाया बिलों का भुगतान करने में विफल रहा। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि आरोपी ने बेईमानी से समझौते के अनुसार, पूरा किए गए काम के लिए भुगतान नहीं किया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राशि की वसूली सिविल माध्यम से की जानी चाहिए। यह दावा करते हुए कि शिकायत झूठी थी, क्योंकि शिकायतकर्ता ने काम पूरा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी को काफी नुकसान हुआ।

शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि 28 लाख रुपये की अवैतनिक राशि को देखते हुए धोखाधड़ी का मामला स्पष्ट है। हालांकि अदालत ने कहा कि यह विवाद व्यापारिक लेनदेन से उत्पन्न हुआ था, जहां काम पूरा नहीं हुआ और बाद में तीसरे पक्ष के माध्यम से निष्पादित किया गया। अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे वाणिज्यिक विवादों में आपराधिक कार्रवाई की अनुमति नहीं है।

सतीशचंद्र रतनलाल शाह बनाम गुजरात राज्य और अन्य (एआईआर 2019 एससीसी 1538) के मामले का संदर्भ देते हुए अदालत ने जोर देकर कहा,

“शुरू से ही धोखाधड़ी का कोई इरादा नहीं था। इसीलिए अदालत ने धारा 420 आईपीसी के तहत संज्ञान नहीं लिया। बेशक, लेन-देन व्यावसायिक शर्तों के संबंध में था। अनुबंध का उल्लंघन मात्र धारा 405 आईपीसी के तहत अपराध नहीं माना जाता है, बिना इस बात का ध्यान रखे कि उसे सौंप दिया गया।”

परिणामस्वरूप, न्यायालय ने उप-न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी और याचिका स्वीकार कर ली।

केस टाइटल- रोहित चौधरी बनाम झारखंड राज्य

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