UAPA मामलों में सीधे हाईकोर्ट नहीं जा सकते, NIA Act का इस्तेमाल कर वैधानिक प्रक्रिया को दरकिनार नहीं किया जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

Update: 2025-09-22 06:22 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत कोई वैधानिक मंच उपलब्ध है तो कोई भी अपीलकर्ता राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम (NIA Act) की धारा 21 का हवाला देकर सीधे हाई कोर्ट में अपील नहीं कर सकता। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि UAPA में संपत्ति की जब्ती से लेकर संबंधित प्राधिकरण द्वारा निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया प्रदान की गई है।

जस्टिस सिंधु शर्मा और जस्टिस शहजाद अजीम की खंडपीठ ने आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में इस्तेमाल होने के आरोप में जब्त किए गए एक वाहन की रिहाई की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

यह मामला तब शुरू हुआ, जब पुलिस और राष्ट्रीय राइफल्स ने दो व्यक्तियों को रोका और उनके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए जिनके संबंध प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (TRF) से होने का आरोप है। एक लोड कैरियर वाहन को आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल होने के आरोप में जब्त किया गया। वाहन मालिक ने इसे छोड़ने के लिए आवेदन किया। हालांकि, स्पेशल कोर्ट (UAPA) ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला अभी भी नामित प्राधिकरण के पास लंबित है। याचिकाकर्ता ने इस आदेश को NIA Act की धारा 21 के तहत हाईकोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने कहा कि UAPA की धारा 25 अपने आप में एक पूर्ण संहिता है, जो संपत्ति की जब्ती से लेकर नामित प्राधिकरण के समक्ष पेशी और फिर स्पेशल कोर्ट तथा हाईकोर्ट में अपील का प्रावधान करती है। न्यायालय ने कहा कि जब नामित प्राधिकरण के रूप में वैधानिक मंच उपलब्ध है तो अपीलकर्ता को वैधानिक प्रक्रिया से बचने के लिए सीधे हाईकोर्ट में अपील करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

न्यायालय ने पाया कि नामित प्राधिकरण (डिविजनल कमिश्नर, कश्मीर) ने पहले ही वाहन मालिक को सुनवाई का मौका दिया था। इसके बावजूद अपीलकर्ता ने वैधानिक उपचार का पालन करने के बजाय NIA Act के तहत सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट का आदेश अंतरिम प्रकृति का था और NIA Act के तहत इसकी अपील नहीं की जा सकती।

हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपने सभी तर्क संबंधित वैधानिक मंच के समक्ष ही उठा सकते हैं।

Tags:    

Similar News