MSMED Act : मिश्रित SIT कॉन्ट्रैक्ट्स पर लागू नहीं होंगी MSE खरीद अनिवार्यताएं: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट

Update: 2025-08-18 13:10 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक खरीद नीति के तहत सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (MSEs) को दी गई प्राथमिकता की धाराएं 3 और 11 स्वतः मिश्रित अनुबंधों जैसे सप्लाई, इंस्टॉलेशन और टेस्टिंग (SIT) प्रोजेक्ट्स, पर लागू नहीं होंगी।

जस्टिस वसीम सादिक नर्गल की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यद्यपि नीति प्रावधानों को MSMED Act के तहत वैधानिक मान्यता प्राप्त है, लेकिन उनका अनुप्रयोग व्यवस्थागत है, अनुबंध-विशिष्ट नहीं।

अदालत ने कहा,

“धाराएं 3 और 11 का उद्देश्य MSEs को सशक्त करना है, लेकिन इनका अनुप्रयोग पूर्णत: नहीं है। SIT जैसे एकीकृत अनुबंधों में इन धाराओं का यांत्रिक रूप से लागू होना नीति के उद्देश्य और व्यावहारिकता दोनों को प्रभावित करेगा।”

धारा 3 के अनुसार सरकारी निकायों की सालाना खरीद का कम से कम 25% हिस्सा MSEs से किया जाना चाहिए।

धारा 11 के तहत 358 वस्तुएँ केवल MSEs के लिए आरक्षित हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले लाइफकेयर इनोवेशंस प्रा. लि. बनाम भारत संघ (2025) पर भरोसा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह अनिवार्यता वित्तीय वर्ष में संस्थान स्तर पर लागू होती है, न कि हर निविदा या अनुबंध पर।

अदालत ने यह भी माना कि SIT कॉन्ट्रैक्ट्स में वस्तुओं और सेवाओं को तकनीकी रूप से अलग करना संभव नहीं है। इसलिए जब तक कुल 25% लक्ष्य संस्थागत स्तर पर पूरा हो रहा है तब तक मिश्रित निविदाएं जारी करना वैध है।

अदालत ने निविदा प्रक्रिया में कोई अनियमितता या अवैधानिकता न पाते हुए याचिका खारिज कर दी, अंतरिम रोक हटाई और अधिकारियों को परियोजना आगे बढ़ाने की अनुमति दी।

केस टाइटल: जैन इलेक्ट्रिकल्स, इंडस्ट्रियल एस्टेट, सनत, श्रीनगर बनाम केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, 2025

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