न्यायपालिका पर आपत्तिजनक टिप्पणी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने श्रीनगर SSP को लगाई फटकार
जम्मू-कश्मीर-लद्दाख हाईकोर्ट ने निरोधात्मक हिरासत आदेश रद्द करते हुए श्रीनगर के तत्कालीन SSP इम्तियाज़ हुसैन की कड़ी निंदा की। अदालत ने कहा कि SSP द्वारा तैयार किए गए डोज़ियर में न्यायपालिका के खिलाफ़ की गई टिप्पणियां अवमाननापूर्ण और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने वाली हैं।
जस्टिस मोक्ष खजूरिया काज़मी की सिंगल बेंच ने पाया कि SSP ने अपने डोज़ियर में लिखा था,
"जब भी विषय (हिरासत में लिए गए व्यक्ति) को गिरफ़्तार किया गया, उसने अदालत से जमानत ले ली या हिरासत आदेश को चुनौती दी, क्योंकि वह प्रभाव और ताक़त का इस्तेमाल करता है।"
अदालत ने इस कथन को निराधार, आपत्तिजनक और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सीधा प्रहार बताया।
कोर्ट ने कहा ,
"SSP श्रीनगर ने न केवल बंदी के ख़िलाफ़ अपनी राय दी है बल्कि न्यायपालिका पर भी सवाल उठाए हैं। यह बिल्कुल अनुचित और निंदनीय है।"
अदालत ने चेतावनी दी कि इस तरह की प्रवृत्ति अगर बढ़ी तो यह पूरे लोकतांत्रिक तंत्र को अस्थिर कर सकती है।
DGP को कार्रवाई के आदेश
कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) को निर्देश दिया कि वे SSP इम्तियाज़ हुसैन से लिखित स्पष्टीकरण लें और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करें। अदालत ने कहा कि ऐसा अधिकारी, जो गृह विभाग में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी संभालता है, उससे “बेहद जिम्मेदारी और संतुलन” की अपेक्षा होती है।
कोर्ट ने हिरासत में लिए गए रियाज़ अहमद चाना की तुरंत रिहाई का आदेश दिया, बशर्ते वह किसी अन्य मामले में वांछित न हो। साथ ही हिरासत का पूरा रिकॉर्ड वकील को सुपुर्द करने का निर्देश दिया गया।