आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं होने वाली कार्यवाही के कारण सेवानिवृत्ति लाभ नहीं रोका जा सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-03-30 11:05 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट की महेश चंद्र सोनी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य के मामले में सिविल रिट पीटिशन पर लिए निर्णय में ये माना कि आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित ना रहने वाली कार्यवाही के कारण सेवानिवृत्ति लाभों को रोका नहीं जा सकता है।

जस्टिस गणेश राम मीना की सिंगल जज बेंच ने कहा कि पेंशन नियम कहते हैं कि पेंशन और ग्रेच्युटी याचिकाकर्ता को उसके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के आधार पर जमा की गई राशि है। इसके अलावा, पेंशन नियमों के तहत मिलने वाले सेवानिवृत्ति लाभों को किसी भी कार्यवाही के कारण नहीं रोका जा सकता है, जो आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं है, खासकर पारिवारिक विवाद आदि जैसे मामलों में। अदालत ने आगे कहा कि पेंशन नियमों के नियम 90 में उल्लिखित न्यायिक कार्यवाही किसी कर्मचारी द्वारा उसके कार्यालय में या आधिकारिक कर्तव्यों के संबंध में किए गए किसी भी कार्य से संबंधित है।

कोर्ट ने कहा,

"पेंशन नियम, 1996 के नियम 90 में संदर्भित 'न्यायिक कार्यवाही' शब्द को "पारिवारिक विवादों" से संबंधित कार्यवाही के लिए नहीं माना जा सकता है, जिसका उसके कार्यालय में कर्मचारी के आधिकारिक कर्तव्यों या कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है।”

अदालत ने पेंशन और ग्रेच्युटी की प्रकृति पर भी टिप्पणी की और कहा कि पेंशन और ग्रेच्युटी कोई इनाम नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत संपत्ति का अधिकार है, जिसे कानून के अनुसार वंचित नहीं किया जा सकता है।

उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, सीडब्ल्यूपी की अनुमति दी गई।

केस नंबर: सिविल रिट पीटिशन नंबर 14891/2023

केस टाइटल: महेश चंद्र सोनी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

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