Masala Bonds Case] केरल हाइकोर्ट ने KIIFB उप महाप्रबंधक, अन्य अधिकारी प्रारंभिक जांच के लिए ED के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया
केरल हाइकोर्ट ने केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बोर्ड (KIIFB) के उप महाप्रबंधक (DGM) अजोश कृष्णकुमार को दो या तीन अधिकारियों के साथ ED के समक्ष पेश होकर उसे जारी समन का जवाब देने का निर्देश दिया। KIIFB के अधिकारी 27 और 28 फरवरी को ED के सामने पेश होंगे और उसके बाद कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश की जाएगी।
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि यह केवल प्रारंभिक जांच है और इसमें कोई गिरफ्तारी नहीं होगी कोई पूछताछ नहीं होगी और कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी और संरक्षित किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा,
"परिणामस्वरूप अंतरिम उपाय के रूप में मैं डीजीएम (संस्थागत वित्त) KIIFB को दो या तीन अधिकारियों के साथ सक्षम प्राधिकारी के सामने पेश होने और लागू समन का जवाब देने की अनुमति देता हूं।”
कोर्ट ने मसाला बांड मामले के संबंध में ED द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली KIIFB द्वारा दायर याचिका पर यह टिप्पणी की। पूर्व वित्त मंत्री डॉ. थॉमस इसाक ने भी ED के समन को चुनौती देते हुए अलग याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि वह केवल व्यक्ति हैं और मौखिक साक्ष्य लेने के लिए समन में उनके खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए। कोर्ट ने KIIFB और डॉ. इसाक के खिलाफ ED द्वारा जारी समन पर रोक नहीं लगाई।
पिछली सुनवाई पर अदालत ने KIIFB और डॉ. इसाक दोनों को ED द्वारा जारी समन का केवल एक बार जवाब देने का सुझाव दिया, क्योंकि यह केवल प्रारंभिक जांच है।
KIIFB की ओर से पेश सीनियर वकील अरविंद दातार ने कहा कि अदालत डीजीएम को KIIFB के दो या तीन अधिकारियों के साथ समन का जवाब देने के लिए ED के सामने पेश होने की अनुमति दे सकती है। यह तर्क दिया गया कि डॉ. कंडाथिल मैथ्यू अब्राहम, (मुख्य कार्यकारी अधिकारी KIIFB ), जिनके खिलाफ समन जारी किया गया, वह पहले ही एक बार ED के सामने पेश हो चुके हैं और सभी दस्तावेज भी जमा कर दिए गए।
सीनियर वकील जयदीप गुप्ता डॉ. इसाक की ओर से पेश हुए और कहा कि समन डॉ. इसाक के खिलाफ किसी भी आरोप का संकेत नहीं देता और फिलहाल, KIIFB के अधिकारी ED के सामने पेश हो सकते हैं। यह प्रस्तुत किया गया कि फिलहाल डॉ. इसाक को समन के माध्यम से मौखिक पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जा सकता, क्योंकि उन्हें 2021 में वित्त मंत्री के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मसाला बांड के संबंध में धन के उपयोग के बारे में कोई जानकारी नहीं है। तर्क दिया गया कि ED बिना किसी लंबित कार्यवाही के समन जारी करके पूछताछ नहीं कर सकता।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ए.आर.एल.सुंदरेसनसरकारी वकील जयशंकर वी.नायर के निर्देश पर ED की ओर से पेश हुए और कहा कि KIIFB के दो या तीन अधिकारियों के साथ डीजीएम उनके द्वारा जारी किए गए समन का सम्मान करने के लिए ED के सामने पेश हो सकते हैं। उन्होंने अदालत से कार्यवाही को लंबित रखने का भी अनुरोध किया क्योंकि जांच केवल प्रारंभिक चरण में है।
तर्कों पर विचार करते हुए अदालत ने KIIFB के (डीजीएम) (संस्थागत वित्त) को ED को जानकारी देने और प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने के लिए दो या तीन अधिकारियों के साथ उपस्थित होने की अनुमति दी।
अदालत ने इस प्रकार कहा कि KIIFB के खिलाफ जारी किए गए समन का पहले जवाब दिया जा सकता है और फिर वह डॉ. इसाक को जारी किए गए समन के खिलाफ निर्णय लेगी।
मामले की पृष्ठभूमि
KIIFB और पूर्व मंत्री डॉ. थॉमस इसाक ने हाइकोर्ट के समक्ष अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं, जिसमें रुपये-मूल्य वाले बांड (मसाला बांड) जारी करके धन जुटाने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम Foreign Exchange Management Act (फेमा) के तहत प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए ED द्वारा समन जारी करने को चुनौती दी गई।
जस्टिस वी.जी. अरुण ने अक्टूबर, 2022 में KIIFB और डॉ. इसाक के खिलाफ समन जारी करने पर दो महीने के लिए रोक लगा दी।
जस्टिस रामचंद्रन ने फिर अदालत के अगले आदेशों के अधीन डॉ. इसाक और KIIFB को नए समन जारी करने की अनुमति दी। इसे बाद में डिवीजन बेंच ने तकनीकी आधार का हवाला देते हुए खारिज कर दिया कि पहले के अंतरिम आदेश में ऐसा संशोधन जारी नहीं किया जा सकता।
पिछले साल दिसंबर में ED ने KIIFB और डॉ. इसाक को जारी किया गया समन वापस ले लिया।
जस्टिस रामचंद्रन ने उपरोक्त प्रस्तुतिकरण पर अन्य सभी मुद्दों को खुला छोड़ दिया, क्योंकि कोई कार्यवाही लंबित नहीं है।
मामले की अगली सुनवाई 07 मार्च, 2024 को तय की गई।
केस टाइटल- केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड वी निदेशक थॉमस इसाक बनाम उप निदेशक
केस नंबर- डब्ल्यूपीसी 1377/2024 और डब्ल्यूपीसी 3719/2024