गुजरात हाइकोर्ट ने वडोदरा जिले में 18 जनवरी को नाव पलटने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया। इस घटना में 16 लोगों की जान चली गई, जिनमें 12 बच्चे और दो शिक्षक भी शामिल थे। सभी लोग पिकनिक पर गए थे।
चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध पी. मायी की खंडपीठ ने इस मामले पर सचिव, गृह विभाग, गुजरात राज्य साथ-साथ गृह विभाग, गुजरात सरकार के अधिकारी से 29 जनवरी की गई कार्रवाई रिपोर्ट के हलफनामे की मांग की।
यह आदेश गुजरात हाइकोर्ट वकील संघ के चेयरपर्सन, ब्रिजेश त्रिवेदी द्वारा त्रासदी के बारे में समाचारों का जिक्र करते हुए अदालत के समक्ष मामले का उल्लेख करने के बाद पारित किया गया।
कोर्ट ने अखबार की उन खबरों को "परेशान करने वाला" बताते हुए, जिनमें बताया गया कि सुरक्षा मानदंडों का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया, क्योंकि नाव पर सवार बच्चों को लाइफ जैकेट भी उपलब्ध नहीं कराए गए थे, कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि 'इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती।'
चीफ जस्टिस अग्रवाल ने मौखिक रूप से कहा,
“यह सबसे दुखद घटना है। इस पर बहुत आसानी से अंकुश लगाया जा सकता है। इसे बहुत आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि आप सुरक्षा मानदंडों का पालन कर रहे हैं तो आप हमेशा ऐसी घटनाओं से बच सकते हैं। इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
वडोदरा की हरनी झील पर हुई घटना के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया है कि घटना के दौरान नाव पर लगभग 27 व्यक्ति सवार थे।
मीडिया से बात करते हुए पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने कहा कि सात लोगों को सफलतापूर्वक बचाया गया। वर्तमान में पास के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। गौरतलब है कि कथित तौर पर, नाव की सवारी के दौरान पीड़ितों के पास लाइफ जैकेट नहीं थे।
गुजरात के सीएम भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल पहले ही घटना की उच्चस्तरीय जांच वडोदरा के जिलाधिकारी को सौंप चुके हैं। मामले में 10 दिन के अंदर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई।