[पश्चिम बंगाल में ED पर हमला] राज्य पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता पर ED की आपत्ति पर कलकत्ता हाइकोर्ट की घटना की जांच के लिए SIT के गठन के आदेश पर रोक
कलकत्ता हाइकोर्ट ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अपील में विशेष जांच दल (SIT) के गठन के आदेश पर रोक लगा दी। जांच के लिए राज्य पुलिस और सीबीआई (CBI) अधिकारियों की एसआईटी का गठन किया गया था। यह हमले संदेशखाली में ED अधिकारियों पर तब हुए जब वे करोड़ों रुपये के राशन घोटाले के आरोपी राजनीतिक नेता शाहजहां शेख के आवास पर छापा मारने जा रहे थे।
चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले इस घटना की NIA/CBI से जांच की मांग वाली याचिका खारिज की।
सुनवाई चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ ने उक्त मामले की सुनवाई।
यह आयोजित किया गया,
"ED ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी, जिसमें इस आधार पर SIT का गठन किया गया कि ED ने विधेय अपराध को ट्रांसफर करने की प्रार्थना नहीं की। आदेश को पढ़ने पर हम पाते हैं कि एकल पीठ ने राय दी कि आरोपियों की राजनीतिक संबद्धता के कारण मामले को संभालने में स्थानीय पुलिस की अयोग्यता को देखते हुए मौजूदा मामलों की जांच में CBI की भागीदारी अनिवार्य होगी। इन निष्कर्षों की पृष्ठभूमि में अपील में तय किया जाने वाला प्रश्न यह है कि क्या राज्य पुलिस SIT का हिस्सा हो सकती है। मामले का निर्णय दोनों पक्षकारों को सुनने के बाद किया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य ने भी अपील दायर की है। इसलिए अपील पर फैसला होने तक SIT के गठन के निर्देश पर रोक लगाई जानी चाहिए। राज्य पुलिस भी इस मामले की जांच नहीं करेगी।"
ED की ओर से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने कहा कि एकलन्यायाधीश उनकी दलीलों से सहमत थे कि जांच को CBI को ट्रांसफर किया जाना चाहिए, क्योंकि राज्य पुलिस द्वारा आरोपी को शरण देने की संभावना है, जो राज्य सरकार में मंत्री है और आरोपियों के पड़ोसी देशों में प्रवेश करने की संभावना भी है।
यह तर्क दिया गया कि भले ही एकल न्यायाधीश इस तर्क से सहमत थे कि CBI अपराधों की सबसे अच्छी जांच करने में सक्षम होगी, SIT का गठन राज्य पुलिस के सदस्यों के साथ किया गया, क्योंकि यह विधेय अपराध की जांच कर रहा है, जबकि ED पीएमएलए की जांच कर रहा है। अपराध इस आधार पर कि ED ने विधेय अपराध के ट्रांसफर के लिए कोई दलील नहीं दी।
एएसजी ने कहा कि SIT काम नहीं करेगी, क्योंकि धारणा यह होगी कि राज्य पुलिस मुख्य आरोपी जो राज्य सरकार में मंत्री है, उसको पनाह देने का प्रयास करेगी।
राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने प्रस्तुत किया कि राज्य ने भी एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील को प्राथमिकता दी।
पक्षकारों को सुनने के बाद अदालत ने अपील स्वीकार कर ली और मामले को 6 मार्च, 2024 को निर्देश के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
केस टाइटल- प्रवर्तन निदेशालय, कोलकाता जोनल कार्यालय बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य।
केस नंबर: MAT/169/2024