पशुओं और पक्षियों के लिए हेबियस कॉर्पस का आह्वान नहीं किया जा सकता: गुजरात हाइकोर्ट ने चोरी हुए पशुओं की कस्टडी की मांग करने वाली याचिका में संशोधन करने को कहा
गुजरात हाइकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि वह चोरी हुए पशुओं के लिए हेबियस कॉर्पस याचिका जारी नहीं कर सकता। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले वकील को सुझाव दिया कि वह पहले हेबियस कॉर्पस से संबंधित कानून को देखें।
जस्टिस ए वाई कोगजे और जस्टिस एस जे दवे की खंडपीठ सूरत की महिला कसमबेन सोमुभाई सिंगाड़े द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जो अपनी अपहृत बेटी और चोरी हुए पशुओं की कस्टडी की मांग कर रही थी।
शुरू में पीठ ने 'पक्षियों, गायों, भैंसों आदि' की कस्टडी की मांग करने वाली प्रार्थना पर सवाल उठाया।
जस्टिस कोगजे ने अपने वकील एबी पांड्या से पूछा,
"हम इसका प्रयोग कैसे कर सकते हैं, मिस्टर?"
पांड्या ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता चोरी हुए जानवरों की मां है और वह उनके जीवन की रक्षा करना चाहती है।
इससे सहमत न होते हुए पीठ ने पांड्या से कहा कि वह याचिका से जानवरों और पक्षियों की कस्टडी की मांग वाली प्रार्थना को हटा दें और इसे बेटी की कस्टडी की मांग वाली प्रार्थना तक सीमित रखें।
जस्टिस कोगजे ने कहा,
"हमें यकीन नहीं है कि हम जानवरों और पक्षियों के लिए हेबियस कॉर्पस का आह्वान कर सकते हैं। आप इस प्रार्थना में संशोधन करें। ऐसा लगता है कि आपको पहले हेबियस कॉर्पस से संबंधित कानून को पढ़ना होगा और फिर उसके अनुसार अपनी याचिका में कुछ संशोधन करके हेबियस कॉर्पस रिट के दायरे में लाना होगा।"
इस बीच न्यायालय ने एपीपी को याचिकाकर्ता की बेटी शन्ना के लापता कॉर्पस के संबंध में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: कस्माबेन सोमुभाई सिंगाड़े नानाभाई वासनभाई भाबोर की बेटी पत्नी सोमुभाई कुकरजी सिंगाड़े बनाम गुजरात राज्य व अन्य।