गुवाहाटी हाईकोर्ट में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए मेडिकल सहायता, रिकंस्ट्रेटिव सर्जरी सुविधा की कमी के खिलाफ याचिका
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार और असम सरकार से असम में रहने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों की मेडिकल आवश्यकताओं को संबोधित करने में विफलता और विशेष रूप से रिकंस्ट्रेटिव सर्जरी की सुविधा का विस्तार करने के मुद्दे से अवगत कराने के लिए कहा।
जस्टिस सुमन श्याम और जस्टिस मृदुल कुमार कलिता की खंडपीठ ने कहा,
“हमारा मानना है कि इस याचिका में उठाई गई चिंता गंभीर प्रकृति की है। संबंधित अधिकारियों को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसे विरोधात्मक मुकदमेबाजी मानने के बजाय सभी संबंधित पक्षों द्वारा प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे देश में मौजूद कानूनी ढांचे के भीतर ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों की शिकायतों को उचित तरीके से संबोधित करने के तरीके और साधन खोजे जा सकें। इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं को आगे बढ़ाया जा सके।”
अदालत एडवोकेट स्वाति बिधान बरुआ द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार की योजना है, जो समुदाय के सदस्यों को पुनर्निर्माण सर्जरी का लाभ उठाने की अनुमति देती है लेकिन उचित दिशा-निर्देशों और स्पष्ट निर्देशों की कमी के कारणन तो केंद्र सरकार और न ही असम राज्य सरकार इस संबंध में ट्रांसजेंडर समुदाय की शिकायत का निवारण करने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इस तरह के भ्रम के कारण न केवल ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 15 (जी) के तहत गारंटीकृत अधिकार बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत समुदाय के सदस्यों के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है।
न्यायालय ने एडवोकेट जनरल डी. सैकिया से मामले में सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया तथा भारत के उप महाधिवक्ता को 26 सितंबर तक मुद्दों पर विशिष्ट निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल- स्वाति बिधान बरुआ बनाम असम राज्य एवं 2 अन्य।