सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस अजय रस्तोगी ने वर्चुअल हियरिंग लिंक बंद की, वकीलों से कहा कि वे सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट में असामान्य घटनाक्रम में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को कोर्ट रूम 6 की वर्चुअल सुनवाई लिंक को यह कहते हुए बंद कर दिया कि वकील सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अदालत द्वारा काज लिस्ट के अनुसार मामलों की सुनवाई शुरू करने के कुछ मिनट बाद वकील ने मामले में पास-ओवर की मांग करते हुए कहा कि कोर्ट हॉल 1 के सामने उनके सीनियर सुनवाई में व्यस्त हैं।
जस्टिस रस्तोगी ने पूछा,
"कोर्ट हॉल 1 संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रहा है। वे वहां बहस कर रहे हैं?"
एडवोकेट ने उत्तर दिया ,
"नहीं, वह मामले का उल्लेख कर रहे हैं।"
पीठ ने स्थगन के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
आइटम को जब फिर से बुलाया गया तो एडवोकेट ने अदालत से कहा कि उनके सीनियर पेश होने और मामले में बहस करने के लिए तैयार हैं।
जस्टिस रस्तोगी ने जवाब में कहा,
"वकील साहब, मेरे कोर्ट में स्मार्ट बनने की कोशिश मत कीजिए। हमारे पास भी 40 साल का अनुभव है, आप मुश्किल में पड़ सकते हैं!"
इसके बाद सीनियर एडवोकेट वर्चुअली पेश हुए।
पीठ ने सीनियर वकील से पूछा,
"आपके जूनियर ने कहा कि आप कोर्ट हॉल 1 में है। अब आप वर्चुअल रूप से पेश हो रहे हैं?"
वकील ने जवाब दिया कि वह उपभोक्ता अदालत की विशेष पीठ के समक्ष पेश हुए, जिसकी सुनवाई सुबह 9:30 बजे शुरू हुई।
इस जवाब से चिढ़ते हुए अदालत ने कहा,
"इसे (वीसी सुनवाई लिंक) बंद कर दें। हम वकीलों को यह सुविधा दे रहे हैं; वे इसका दुरुपयोग कर रहे हैं!"
कुछ ही देर बाद कोर्ट की कार्यवाही का वीसी लिंक बंद कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में काम करने की मिश्रित प्रणाली है- वकीलों और वादकारियों के पास अदालत के समक्ष फिजिकल रूप से या वर्चुअल पेश होने का विकल्प है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने वर्चुअल सुनवाई के महत्व पर प्रकाश डालने के कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है।
सीजेआई चंद्रचूड़ न्यायपालिका में टेक्नोलॉजी के उपयोग के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने न्याय तक पहुंच को बढ़ावा देने में वर्चुअल सुनवाई के महत्व पर जोर दिया है।
सीजेआई ने हाल ही में सुनवाई के दौरान कहा,
"आप प्रो-टेक्नोलॉजी हैं या नहीं, हाईकोर्ट के सभी चीफ जस्टिस को यह सीखने की जरूरत है कि तकनीक का इस्तेमाल किया जाना है।"
सीजेआई ने रेखांकित किया कि न्यायाधीश यह कहकर वकीलों की फिजिकल उपस्थिति पर जोर नहीं दे सकते कि पूर्व अदालत में आ रहे हैं।
सीजेआई की बेंच वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।