उन्नाव रेप केस: दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित की, कड़ी शर्तों पर रिहाई

Update: 2025-12-23 11:35 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर) को उन्नाव बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए और आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया। अदालत ने यह राहत उनकी अपील लंबित रहने तक सशर्त दी है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सेंगर की सजा निलंबित की जा रही है लेकिन उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

अदालत ने सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की तीन जमानतों पर रिहा करने का निर्देश दिया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के निवास स्थान से पांच किलोमीटर के दायरे में प्रवेश नहीं करेंगे और अपील के निस्तारण तक उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा।

इसके साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि अपील खारिज होती है तो वह शेष सजा भुगतने के लिए उपलब्ध रहेंगे।

हाईकोर्ट ने सेंगर को पीड़िता या उसकी मां को किसी भी प्रकार से धमकाने या संपर्क करने से भी सख्त रूप से प्रतिबंधित किया है।

इसके अलावा, उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा कराने और हर सप्ताह सोमवार को सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी लगाने का निर्देश दिया गया।

अदालत ने यह भी कहा कि सेंगर की आपराधिक अपील और संबंधित आवेदन को चीफ जस्टिस के आदेशों के अधीन 15 जनवरी 2026 को रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले भी इस वर्ष कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली स्थित एम्स में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। इसी तरह की राहत उन्हें दिसंबर, 2024 में भी मिली थी।

कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव रेप मामले में पीड़िता के साथ बलात्कार और उसके पिता की हत्या की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

आरोप है कि यह अपराध उन्होंने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के माखी गांव में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से किया।

इस मामले की सुनवाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित की गई। यह आदेश बलात्कार पीड़िता द्वारा तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र के बाद दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव कांड से जुड़े सभी पांच मामलों को लखनऊ से दिल्ली की तिहाड़ हजारी अदालत में स्थानांतरित करते हुए रोज़ाना सुनवाई और 45 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था।

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