आतंकी फंडिंग मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने यासीन मलिक से NIA की फांसी की सजा की मांग पर जवाब मांगा

Update: 2025-08-11 06:38 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दायर उस अपील पर जवाब मांगा, जिसमें एजेंसी ने आतंकी फंडिंग मामले में उनके लिए फांसी की सजा की मांग की।

जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने मलिक को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को तय की।

NIA के विशेष वकील अधिवक्ता अक्षै मलिक ने अदालत को 9 अगस्त, 2024 के एक आदेश का हवाला दिया, जिसमें मलिक ने कहा कि वह अपना केस खुद लड़ेंगे। उस आदेश में यह भी कहा गया कि सुरक्षा कारणों से मलिक की उपस्थिति केवल वर्चुअल माध्यम से होगी, शारीरिक रूप से नहीं।

आज की सुनवाई में मलिक वर्चुअल रूप से भी उपस्थित नहीं थे। इसलिए खंडपीठ ने निर्देश दिया कि वह अगली सुनवाई पर वर्चुअल रूप से पेश हों।

मई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने मलिक को मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन्होंने आरोपों को चुनौती नहीं दी थी और खुद को दोषी माना था।

सजा सुनाते समय विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि अपराध सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' (अत्यंत दुर्लभ) मामलों की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।

न्यायाधीश ने मलिक का यह दावा भी खारिज कर दिया कि वह गांधीवादी अहिंसा के सिद्धांत का पालन कर रहे थे और शांतिपूर्ण संघर्ष का नेतृत्व कर रहे थे।

मार्च, 2022 में अदालत ने मलिक और अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आरोप तय किए।

अन्य जिन पर आरोप तय हुए, उनमें हाफिज मोहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाउद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहीर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंतूश, नईम खान, फारूक अहमद डार उर्फ बित्त कराटे शामिल हैं।

हालांकि अदालत ने तीन व्यक्तियों कमरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी को आरोपों से बरी कर दिया था।

टाइटल : NIA बनाम यासीन मलिक

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