एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल लागू करने के लिए शीघ्र कदम उठाएं सरकार: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-05-05 06:19 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार को एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल, 2024 (Advocates Protection Bill) को लागू करने के लिए शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया।

जस्टिस सचिन दत्ता ने दिल्ली सरकार को याचिका में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें दावा किया गया कि दिल्ली में विभिन्न जिला कोर्ट के कोर्ट कैंपस के अंदर हिंसा की घटनाओं में "खतरनाक वृद्धि" हुई है।

हाल ही में दिल्ली के सभी जिला कोर्ट बार संघों की समन्वय समिति द्वारा आवेदन दायर किया गया। इस आवेदन में मांग की गई कि Advocates Protection Bill का मसौदा उसे प्रदान किया जाए।

21 अप्रैल को पारित अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, Advocates Protection Bill का अंतिम मसौदा सरकार के विधि विभाग द्वारा तैयार किया गया।

प्रतिक्रिया में कहा गया,

"उक्त अंतिम मसौदा विधेयक पर मंत्रिपरिषद द्वारा विचार किया जाना आवश्यक है, क्योंकि नए कानून की आवश्यकता और अधिनियमन नीतिगत निर्णय है।"

समन्वय समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार के विधि विभाग द्वारा तैयार किए गए मसौदे की प्रति उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई। इसलिए समिति को मसौदा उपलब्ध कराने की मांग की गई, जिससे उसे प्रावधानों के संबंध में कोई भी प्रतिनिधित्व देने का अवसर मिल सके। याचिका स्वीकार करते हुए न्यायालय ने दिल्ली सरकार को समन्वय समिति को अधिवक्ता संरक्षण विधेयक, 2024 का मसौदा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा,

"GNCTD को विधेयक को अधिनियमित करने के लिए आगे के त्वरित कदम उठाने चाहिए, जैसा कि समीचीन समझा जा सकता है।"

यह याचिका वकील दीपा जोसेफ और अल्फा फिरिस दयाल ने दायर की। उक्त याचिका अप्रैल, 2023 में अधिवक्ता वीरेंद्र कुमार की हत्या के मद्देनजर दायर की गई।

याचिका में न्यायालय परिसर के अंदर गोलीबारी की अन्य घटनाओं का भी उल्लेख किया गया। याचिका में ट्रायल कोर्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2021 में हाईकोर्ट द्वारा शुरू किए गए एक स्वप्रेरणा मामले का भी उल्लेख किया गया।

याचिका में कहा गया,

"याचिकाकर्ताओं का दृढ़ विश्वास है कि अब समय आ गया है कि दिल्ली में अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू करने का निर्णय लिया जाए, खासकर तब जब हाल ही में राजस्थान राज्य ने भी ऐसा ही अधिनियम पारित किया। दिल्ली में वकालत करने वाले वकीलों के समुदाय को सुरक्षा की गारंटी देने वाला अधिनियम ही मन में घर कर चुके डर को दूर करने में मदद करेगा, खासकर याचिकाकर्ताओं जैसे युवा पहली पीढ़ी के वकीलों के मन में, जो अदालत परिसर में बार-बार गोलीबारी और तकरार की घटनाओं के कारण डर की भावना से घिरे हुए हैं।"

इसके अलावा यह भी कहा गया कि वकील की हत्या की हालिया घटना ने वकीलों के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत किसी भी पेशे को करने या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने के अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन करता है।

केस टाइटल: दीपा जोसेफ और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य

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