सेंट स्टीफंस PG सीट आवंटन: दिल्ली हाईकोर्ट ने DU अधिकारियों को अवज्ञा का दोषी ठहराया

Update: 2024-10-10 09:30 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के अधिकारियों को अपने आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का दोषी पाया। उक्त आदेश में DU को सेंट स्टीफन कॉलेज को आनुपातिक संख्या में PG सीटें आवंटित करने का निर्देश दिया गया था।

यह मामला सेंट स्टीफन कॉलेज द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिसमें DU द्वारा आनुपातिक संख्या में PG सीटों के आवंटन या वैकल्पिक रूप से PG पाठ्यक्रमों में सीटों के आवंटन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी।

22 अप्रैल को एकल न्यायाधीश की पीठ ने DU को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सेंट स्टीफन कॉलेज में PG सीटों का आवंटन अनुपातहीन न हो।

याचिकाकर्ता कॉलेज ने तर्क दिया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद DU ने अन्य कॉलेजों की तुलना में उसे बहुत कम सीटें आवंटित की हैं।

सेंट स्टीफन कॉलेज (याचिकाकर्ता) ने न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए DU अधिकारियों (प्रतिवादियों) के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की।

जस्टिस धर्मेश शर्मा ने पाया कि सेंट स्टीफन कॉलेज ने जुलाई में DU को चयनित स्टूडेंट की सूची दी थी। इसके बाद स्टूडेंट्स को पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने के लिए बार-बार ईमेल और अनुरोध भेजे।

न्यायालय ने कहा कि स्टूडेंट को प्रवेश देने में DU की निष्क्रियता ने उन्हें UGC शिक्षण दिवस की आवश्यकता को पूरा न करने और यह न जानने के जोखिम में डाल दिया कि वे अपने PG पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने में कहां खड़े हैं।

यह देखते हुए कि DU समय पर प्रवेश सुनिश्चित करने में विफल रहा उन्होंने टिप्पणी की,

“यह स्पष्ट है कि उपरोक्त ईमेल अनुरोधों या अनुनय का DU की ओर से कोई जवाब नहीं आया। चयनित उम्मीदवारों की सूची उन्हें दिए जाने के समय से ही प्रतिवादियों की ओर से चुप्पी बनी हुई है। इस प्रकार कोटा मुद्दे से ध्यान हटाकर DU की जिम्मेदारी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कि वह समय पर प्रवेश सुनिश्चित करे, जिसमें शामिल स्टूडेंट्स के लिए शैक्षणिक परिणामों पर विचार किया जाता है।”

न्यायालय ने पाया कि DU ने पिछले वर्षों की तुलना में PG पाठ्यक्रमों में सीटें कम कर दी हैं। नोट किया कि DU ने आज तक विभिन्न कॉलेजों में PG सीटों के आवंटन को नियंत्रित करने के लिए कोई नीति या दिशानिर्देश तैयार नहीं किए।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि DU के प्रतिवादी अधिकारी सेंट स्टीफन के प्रबंधन के साथ अपनी निजी शिकायतों को निपटाने के दौरान स्टूडेंट्स के जीवन के साथ खेल रहे हैं।

इसने कहा,

"प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को इस तरह की असंवेदनशीलता दिखाते हुए देखना निराशाजनक है।"

इस प्रकार न्यायालय ने प्रतिवादी अधिकारियों को न्यायालय के निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का दोषी पाया। इसने DU के रजिस्ट्रार और डीन ऑफ एडमिशन को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया, जिससे कारण बताया जा सके कि उन्हें दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।

केस टाइटल: सेंट स्टीफन कॉलेज बनाम विकास गुप्ता और अन्य।

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