कैदियों को अनुशासित करने के नाम पर पैरोल और फरलो जैसी सुधारात्मक सुविधाएं खत्म नहीं कर सकती राज्य सरकार: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2025-09-04 08:00 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जेलों में अनुशासन के नाम पर कैदियों के सुधार से जुड़े अधिकार जैसे पैरोल और फरलो छीने नहीं जा सकते।

जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि सरकार का कैदियों की फरलो संबंधी अधिसूचना को वापस लेना एक "गलत और पीछे ले जाने वाला कदम" है। अदालत ने साफ किया कि पैरोल और फरलो का मकसद कैदियों को सुधार का मौका देना है, न कि केवल जेल अनुशासन लागू करना।

यह मामला एक कैदी की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। कैदी का फरलो आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि वह तीन दिन देरी से जेल लौटा था। कैदी ने कहा कि उसे आंख में चोट लगी थी और इलाज के चलते देरी हुई, जिसकी जानकारी जेल प्रशासन को भी थी।

जेल अधिकारियों ने कहा कि कैदी को चेतावनी की सजा दी गई थी और वह एक साल बाद ही नया फरलो मांग सकता है। लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आत्मसमर्पण में सिर्फ एक-दो दिन की देरी हुई हो और कोई गंभीर कारण न हो, तो इसे कैदी के खिलाफ नहीं गिनना चाहिए।

अदालत ने फरलो आवेदन खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया और मामले को दोबारा विचार के लिए जेल प्राधिकरण को भेज दिया।

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