रेड चिलीज़ ने कहा—'Bads of Bollywood' पर वानखेड़े का मानहानि मुकदमा गलत अदालत में, उचित मंच बॉम्बे हाईकोर्ट
रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में IRS अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा नेटफ्लिक्स सीरीज़ “Ba***ds of Bollywood” में उनकी कथित मानहानिकारक छवि को लेकर दायर किए गए मानहानि मुकदमे का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला क्षेत्राधिकार के हिसाब से गलत अदालत में दाखिल किया गया है और इसे दिल्ली नहीं, बल्कि बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर किया जाना चाहिए था।
जस्टिस पुरषेंद्र कुमार कौरव की अदालत में पेश सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल ने वानखेड़े की अंतरिम निषेधाज्ञा याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वानखेड़े मुंबई में रहते हैं और रेड चिलीज़ का पंजीकृत कार्यालय भी वहीं है, इसलिए दिल्ली में मुकदमे का “कारण-ए-कार्रवाई” पैदा नहीं होता और यह स्पष्ट रूप से “कोर्ट शॉपिंग” का मामला है। कौल ने कहा कि वानखेड़े स्वयं मीडिया को कई इंटरव्यू देते रहे हैं और शो रिलीज होने के बाद भी उन्होंने इसे “ह्यूमर” बताया, जबकि वानखेड़े के खिलाफ उगाही के आरोप, CBI और ED की FIRs तथा जांचें पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में मौजूद थीं, जिनके लिए रेड चिलीज़ जिम्मेदार नहीं ठहराई जा सकती।
कौल ने आगे कहा कि वानखेड़े सात-एपिसोड की सीरीज़ में से एक मिनट के दृश्य को निकालकर मानहानि का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि यह शो न तो डॉक्यूमेंट्री है न बायोपिक, बल्कि अतिरंजना और व्यंग्य का उपयोग करते हुए वास्तविक घटनाओं से प्रेरित एक रचनात्मक कार्य है। वानखेड़े ने रेड चिलीज़, नेटफ्लिक्स, X कॉर्प, गूगल, मेटा, RPG मीडिया और “जॉन डो” को प्रतिवादी बनाया है और 2 करोड़ रुपये हर्जाना मांगा है, जिसे वे कैंसर मरीजों की सहायता के लिए दान करना चाहते हैं।
वानखेड़े का आरोप है कि सीरीज़ जानबूझकर उनकी छवि खराब करने के उद्देश्य से बनाई गई है, विशेषकर तब जब उनका मामला बॉम्बे हाईकोर्ट और NDPS स्पेशल कोर्ट में लंबित है। सूट में यह भी कहा गया है कि एक दृश्य में “सत्यमेव जयते” का नारा बोलने के बाद एक पात्र द्वारा “मध्यमा उंगली” दिखाना राष्ट्रीय सम्मान की अवमानना अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है, और सीरीज़ की सामग्री IT Act व BNS के प्रावधानों के विपरीत है क्योंकि यह अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुँचाती है।