सज़ा का उद्देश्य अंतहीन कारावास नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने समयपूर्व रिहाई की मांग कर रहे आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी को दी राहत
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2003 में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति को राहत प्रदान की, जिसकी समयपूर्व रिहाई की याचिका सजा समीक्षा बोर्ड (SRB) ने खारिज कर दी थी।
जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि दोषी द्वारा किया गया अपराध जघन्य था लेकिन उसे इसके लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और वह पहले ही 24 साल जेल में बिता चुका है।
न्यायालय ने कहा,
"किसी अपराध की सज़ा की भी अपनी सीमाएं होनी चाहिए अन्यथा वह सज़ा अपने आप में गलत और अनुत्पादक हो जाएगी। सज़ा का उद्देश्य अपराधी का सुधार होना चाहिए न कि अंतहीन, अर्थहीन कारावास।"
दोषी ने अपनी समयपूर्व रिहाई की मांग की और पिछले साल अगस्त और सितंबर में हुई SRB की बैठकों में उसके निष्कर्षों को चुनौती दी।
दोषी का कहना था कि उसने आज तक बिना किसी छूट के 20 वर्ष आठ महीने से अधिक और छूट के साथ 24 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए कारावास की सज़ा काटी है।
यह दलील दी गई कि राज्य पुनर्वास बोर्ड (SRB) ने 2004 की नीति के अनुसार उसकी समयपूर्व रिहाई के मामले पर विचार किया था लेकिन यह निर्णय पूरी तरह से अतार्किक और यांत्रिक होने के कारण कानूनन टिकने योग्य नहीं था।
अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर विवादित निर्णय का समर्थन करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की कि यह प्रासंगिक कारकों पर आधारित नहीं था।
जस्टिस कठपालिया ने कहा कि राज्य पुनर्वास बोर्ड ने पुलिस और समाज कल्याण विभाग से प्राप्त रिपोर्टों पर विचार किया लेकिन न तो उन रिपोर्टों को रिकॉर्ड में रखा गया और न ही विवादित निर्णय में उनका सार प्रस्तुत किया गया।
अदालत ने कहा,
"2004 की नीति में भी कई मानदंड हैं, जिनके आधार पर किसी दोषी के मामले का परीक्षण किया जाना है। विवादित निर्णय से यह पता लगाना संभव नहीं है कि उन मानदंडों को लागू किया गया था या नहीं।"
अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यदि विवादित निर्णय रद्द कर दिया जाता है तो दोषी के मामले पर राज्य न्यायिक समीक्षा बोर्ड की अगली बैठक में नए सिरे से विचार किया जाएगा, जो अगले चार महीनों के भीतर निर्धारित है।
तदनुसार न्यायालय ने आदेश दिया,
“उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता के संबंध में राज्य न्यायिक समीक्षा बोर्ड की दिनांक 30.08.2024 और 18.09.2024 की बैठकों की सिफारिशों को स्वीकार करने वाला दिनांक 04.12.2024 का विवादित आदेश रद्द किया जाता है और प्रतिवादी नंबर 1 को निर्देश दिया जाता है कि वह आज से चार महीने के भीतर राज्य न्यायिक समीक्षा बोर्ड की बैठक बुलाकर याचिकाकर्ता के मामले पर पुनर्विचार करे।”
टाइटल: सगीर बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) एवं अन्य