INX मीडिया मामले में ED द्वारा दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे पी चिदंबरम
सीनियर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने INX मीडिया मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया।
चिदंबरम की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन ने गुरुवार को जस्टिस मनोज कुमार ओहरी के समक्ष दलील दी कि मामले में अभियोजन एजेंसी ने कांग्रेस नेता पर मुकदमा चलाने के लिए अनिवार्य मंजूरी नहीं ली। याचिका के अलावा चिदंबरम ने मामले में उनके खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक आवेदन भी दायर किया। ED के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने दलील दी कि चिदंबरम के खिलाफ आरोप अपराध की आय प्राप्त करने के लिए फर्जी कंपनियां बनाने का है।
उन्होंने कहा कि रिश्वत लेने के आरोप किसी भी तरह के आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने कहा,
"ऐसा कभी नहीं हो सकता कि रिश्वत लेना कभी भी आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में शामिल हो सकता है> पिछले मामले (एयरसेल मैक्सिस मामले) के विपरीत यहां आरोप मंत्री के पद पर उनके द्वारा किए गए कामों से कहीं परे हैं> मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप उस दायरे में हैं जिसका आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से कोई लेना-देना नहीं है।"
इस बीच हरिहरन ने विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि जहां आधिकारिक या सार्वजनिक कर्तव्य शामिल है, वहां अभियोजन के लिए मंजूरी अनिवार्य रूप से प्राप्त की जानी चाहिए। चिदंबरम का मामला यह है कि चूंकि कथित अपराध के समय वे एक लोक सेवक थे> इसलिए ED के लिए CrPC और PMLA के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार मंजूरी प्राप्त करना अनिवार्य था।
ED ने तर्क दिया कि चिदंबरम के खिलाफ आरोप किसी भी आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन का हिस्सा नहीं हो सकते। अब मामले की सुनवाई कल यानी शुक्रवार को होगी।
मामले के बारे में CBI ने 15 मई 2017 को INX मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के साथ धारा 120बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8, 12(2) और 13(1)(डी) के तहत अपराध के लिए FIR दर्ज की।
अपराधों का उल्लेख धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की अनुसूची में किया गया। इसलिए 18 मई 2017 को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग के प्रवर्तन निदेशालय (DOI) द्वारा भी मामला दर्ज किया गया। इसलिए PMLA के तहत संभावित कार्रवाई के लिए जांच शुरू की गई।
उक्त FIR इस आरोप पर दर्ज की गई कि INX मीडिया की निदेशक और सीओओ इंद्राणी मुखर्जी और प्रतीम मुखर्जी ने कार्ति पी चिदंबरम के साथ आपराधिक साजिश रची और विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) द्वारा स्वीकृत राशि से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त करने में अवैध कार्य किए।
अन्य आरोप यह था कि INX मीडिया द्वारा INX न्यूज़ में बिना FIBP की मंजूरी के किए गए इस तरह के अनधिकृत डाउनस्ट्रीम निवेश को कार्ति पी. चिदंबरम ने FIBP इकाई, आर्थिक मामलों के विभाग (DEA), वित्त मंत्रालय (MOF) के लोक सेवकों को प्रभावित करके विफल कर दिया।
यह आरोप लगाया गया कि पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम की आपराधिक साजिश और प्रभाव के कारण ऐसे अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पदों का दुरुपयोग किया और INX मीडिया को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिसके कारण INX मीडिया ने कुछ कंपनियों को भारी मात्रा में भुगतान किया, जिनमें कार्ति पी चिदंबरम की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्याप्त रुचि थी।
जांच से पता चला कि INX मीडिया द्वारा अतिरिक्त FDI और डाउनस्ट्रीम निवेश को नियमित करने के लिए उक्त मामले की आपराधिक गतिविधियों से कुछ अवसरों पर अपराध की आय उत्पन्न की गई। इसे कार्ति पी. चिदंबरम ने अपने साथ जुड़ी कुछ शेल कंपनियों के माध्यम से प्राप्त किया।
यह भी पता चला कि 26 जून 2008 को 50 लाख रुपये का एक फर्जी चालान जारी किया गया। INX मीडिया को परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए कार्ति चिदंबरम के स्वामित्व वाली लाभकारी कंपनी एएससीपीएल के नाम पर 11,23,600 रुपये जुटाए गए।
जांच में आगे पता चला कि सितंबर 2008 के महीने में INX मीडिया पर चार अन्य कंपनियों के नाम पर लगभग 700,000 अमेरिकी डॉलर (3.2 करोड़ रुपये के बराबर) की राशि के चार और फर्जी चालान भी जारी किए गए।
केस टाइटल: पी चिदंबरम बनाम ED