'कोई अधिकार नहीं': दिल्ली हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों के पीछे के कारणों की मांग करने वाली याचिका खारिज की, जुर्माना लगाया
दिल्ली हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम को भेजी गई सिफारिश के कारणों के बारे में विवरण मांगने वाली याचिका खारिज की।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने सीए राकेश कुमार गुप्ता द्वारा दायर याचिका खारिज की और उन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। उक्त जुर्माना राशि को सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा किया जाना है।
न्यायालय ने कहा कि रिट याचिका न्यायिक समय की पूरी तरह बर्बादी है और कुमार के पास इसे बनाए रखने का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने कहा,
"रिट याचिका में किए गए कथन बेहद असंगत हैं। यह याचिका पूरी तरह से प्रचार हित याचिका है।"
कुमार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए विचार किए गए मानदंडों या योग्यता के बारे में विवरण मांगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा लंबित, निपटान की सिफारिश से संबंधित मासिक डेटा प्रकाशित करने की भी मांग की।
उनका कहना है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने जजों की हाईकोर्ट में पदोन्नति के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों को लगभग 35.29% खारिज किया, जबकि 2021 में यह केवल 4.38% था।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि याचिका दायर करने में कुमार का एकमात्र व्यक्तिगत हित यह है कि उनका रोहिणी जिला न्यायालयों में एक मामला लंबित है।
अदालत ने कहा,
"यह अदालत यह समझने में असमर्थ है कि जिला न्यायालय में उनके मामले के निपटारे में देरी किसी भी तरह से तत्काल रिट याचिका में मांगी गई राहत से कैसे जुड़ी है। याचिकाकर्ता ने कोई कारण नहीं बताया है कि वह कैसे पीड़ित है। इसलिए यह अदालत इस राय की है कि वर्तमान याचिका केवल प्रचार हित याचिका है।"
इसने देखा कि हाईकोर्ट के जजों की पदोन्नति के लिए सिफारिशें संबंधित हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा की जाती हैं और ऐसी सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा विचार किया जाता है।
अदालत ने आगे कहा कि कॉलेजियम की बैठक के परिणाम सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाले जाते हैं।
अदालत ने आगे कहा,
“हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्त होने के लिए अपेक्षित योग्यताएं भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत निर्धारित की गईं। सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम हाईकोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिशों को स्वीकार करने से पहले कई कारकों पर विचार करता है। यह न्यायालय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की व्यक्तिपरक संतुष्टि पर अपील में नहीं बैठ सकता।”
जस्टिस प्रसाद ने कहा कि यदि कुमार पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान उनके द्वारा नहीं किया जाता है तो उसे भूमि राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किया जाएगा।
केस टाइटल: सीए राकेश कुमार गुप्ता बनाम सुप्रीम कोर्ट जनरल सेक्रेटरी के माध्यम से