नए ऑनलाइन गेमिंग कानून के तहत प्राधिकरण गठन और नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी : केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में बताया
केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि हाल ही में पारित ऑनलाइन गेमिंग (प्रोत्साहन एवं विनियमन) अधिनियम 2025 के तहत प्राधिकरण के गठन और आवश्यक नियम-कायदों के निर्माण की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू की जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 1(3) के अंतर्गत अधिसूचना जारी होने के बाद प्राधिकरण का गठन और नियमावली तैयार की जाएगी।
मामला बघीरा कैरम (ओपीसी) प्रा. लि. की याचिका से जुड़ा है जिसने अपने विकसित ई-स्पोर्ट्स बघीरा कैरम के संदर्भ में अधिनियम को मनमाना और अस्पष्ट बताते हुए उसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि धारा 5 के तहत लगाए गए प्रतिबंध ऑनलाइन मनी गेम (धारा 2(1)(g)) और ई-स्पोर्ट्स (धारा 2(1)(c)) की परिभाषाओं को पढ़ते हुए अधिनियम अस्पष्ट और असंवैधानिक है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की,
“जब तक अधिसूचना जारी नहीं होती, अधिनियम प्रभावी नहीं हो सकता। आपकी यह आशंका कि आप पर कार्रवाई होगी वर्तमान में जीवित नहीं है। सरकार से अपेक्षा है कि वह नियम बनाए और प्राधिकरण गठित करे।”
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग को प्रोत्साहित करती है। हालांकि ऑनलाइन मनी गेमिंग से बच्चों में लत आत्महत्या जैसी समस्याएं सामने आती हैं इसलिए नियंत्रण आवश्यक है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि यदि ई-स्पोर्ट्स की अनुमति है और कोई नया प्लेटफॉर्म लाना चाहता है तो यह देखना प्राधिकरण का कार्य होगा। जब तक नियम और प्राधिकरण नहीं बनते अधिनियम लागू नहीं हो सकता।
मामले पर अगली सुनवाई आठ हफ्ते बाद होगी।