दिल्ली हाईकोर्ट ने कलकाजी मंदिर में सेवादार की संदिग्ध हत्या की घटना की जांच का निर्देश दिया

Update: 2025-09-08 07:29 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को उस घटना की जांच करने को कहा, जिसमें आरोप लगाया गया कि 29 अगस्त की शाम को कालकाजी मंदिर परिसर में एक सेवादार की क्रूर हत्या की गई।

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने मृतक के भाई और घटना के दो चश्मदीद गवाहों द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर करने और अपनी जान की सुरक्षा की मांग की गई।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस के साथ-साथ आरोपियों के परिजनों से भी खतरा है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही मामले की सुनवाई 19 सितंबर के लिए सूचीबद्ध की।

अदालत ने कहा,

"प्रतिवादियों को BNSS 2023 के प्रावधानों के अनुसार जांच करने का निर्देश दिया जाता है।"

भारतीय न्याय संहिता  2023 (BNS) की धारा 103(1) और 3(5) के तहत कालकाजी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई।

यह प्रार्थना की गई कि दोनों चश्मदीद गवाहों के बयान सीधे मजिस्ट्रेट के सामने और जल्द से जल्द दर्ज किए जाएं, क्योंकि पुलिस अधिकारियों द्वारा अन्य गवाहों को धमकाने की खबरें मिली हैं।

याचिका में कहा गया, 

"मंदिर में कानून और अन्य स्थिति को बनाए रखने में दिल्ली पुलिस की पूर्ण विफलता को देखते हुए  कालकाजी मंदिर परिसर से दिल्ली पुलिस को रोकने और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी CRPF को सौंपने की प्रार्थना की गई, जो एक सिद्ध पेशेवर एजेंसी है।"

याचिका के अनुसार यह बताया गया कि पुलिस ने मामले में 8-9 लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि, गवाहों के साथ व्यवहार करते समय पुलिस का आचरण अनुचित है, जो मामले को कमजोर बनाकर आरोपियों का पक्ष लेने की ओर इशारा करता है।

यह भी आरोप लगाया गया कि पुलिस इस मामले में पूरी तरह से असहयोगी रही है और मृतक के भाई को FIR की प्रति भी नहीं दी गई।

याचिका में कहा गया,

"यह घटना न केवल बिगड़ैल युवाओं की कठोर वास्तविकताओं के प्रति आंखे खोलने वाली है बल्कि पुलिस अधिकारियों की पूरी लापरवाही का भी प्रमाण है। ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी केवल मंदिर से लाभ लेने के बारे में चिंतित हैं। चाहे वह आर्थिक लाभ हो या अपने प्रियजनों के लिए विशेष सुविधाएं। लेकिन जब जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात आती है, जो कि दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 के तहत पुलिस को सौंपा गया कार्य है, तो वे आश्चर्यजनक रूप से विफल रहे।"

याचिका में दिल्ली पुलिस को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से रोकने और कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा लोगों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी CRPF को सौंपने की मांग की गई।

CBI को मंदिर परिसर में लगे सीसीटीवी से घटना के समय की सीसीटीवी फुटेज ज़ब्त करने और सुरक्षित रखने का निर्देश देने की भी मांग की गई।

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